उत्तराखंड में लागू हो भू कानून- कह रहें हैं युवा कुमाउनी रचनाकार उत्तराखंड में भू-कानून यथाशीघ्र लागू किया जाना चाहिए, क्योंकि किसी भी क्षेत्र पर पहला हक वहाँ की जनता का है। भू-कानून लागू होने से ही यहाँ की जनता को उनका हक मिल पायेगा। ऐसा मानना है यहाँ के युवाओं का।
पहाड़ की सौगात: लिंगुड़े की सब्जी उत्तराखंड न सिर्फ एक ऐसा राज्य है जहां प्राकृतिक सौंदर्य अपनी विशेषताएँ लिए हुए है, बल्कि यहाँ अनेकानेक जड़ी बूटियों के भंडार भी मौजूद हैं। इन्हीं में से एक है चौमास (बरसात) के दिनों यानि आजकल मिलने वाली प्रसिद्ध सब्जी लिंगुड़ा (linguda)। लिंगुड़ा का
रा० इ० का० नाई में किया गया वृक्षारोपण अल्मोड़ा, रा० इ० का० नाई में हरेला लोकपर्व के अवसर पर वृक्षारोपण का आयोजन किया गया। वृक्षारोपण के दौरान विद्यालय में प्रधानाचार्य अनिल कुमार कठेरिया, भूगोल प्रवक्ता रमेश सिंह रावत, अंग्रेजी प्रवक्ता श्रीमती सोनिया, अर्थशास्त्र प्रवक्ता गणेश चंद्र शर्मा, पवनेश ठकुराठी, सौरभ कुमार, अंकित जोशी,
रतन सिंह किरमोलिया का बाल कहानी संग्रह: आमाक पहरू साथियों, आज हम चर्चा करते हैं कुमाउनी कहानी संग्रह ‘आमाक पहरू’ के विषय में। इस कहानी संग्रह के लेखक हैं- साहित्यकार रतन सिंह किरमोलिया। आइये जानते हैं पुस्तक और लेखक के विषय में- कहानी संग्रह के विषय में- आमाक पहरू ‘आमाक पहरू’ लेखक रतन
उदय किरौला और बाल कहानी संग्रह ‘जागरै दिनै बात’ साथियों, आज हम चर्चा करते हैं कुमाउनी कुमाउनी कहानी संग्रह ‘जागरै दिनै बात’ के विषय में। इस कहानी संग्रह के लेखक हैं, संपादक व साहित्यकार उदय किरौला। आइये जानते हैं पुस्तक और लेखक के विषय में- कहानी संग्रह के विषय में- जागरै दिनै बात
बल्ली सिंह चीमा का गजल संग्रह: जमीन से उठती आवाज पुस्तक के विषय में: जमीन से उठती आवाज ‘जमीन से उठती आवाज’ जनकवि बल्ली सिंह चीमा का गजल संग्रह है। इसका पहला संस्करण नीलाभ प्रकाशन, इलाहाबाद से 1990 में प्रकाशित हुआ था। इसमें चीमा जी की 1978 से 1990 तक की गजलें
गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’ का काव्य संग्रह: जैंता एक दिन तो आलो कविता संग्रह के विषय में- जैंता एक दिन तो आलो ‘जैंता एक दिन तो आलो’ कवि गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’ का काव्य संकलन है। इस संकलन का पहला संस्करण वर्ष 2011 में पहाड़ प्रकाशन, नैनीताल से हुआ है। यह काव्य संग्रह दो खंडों
छह साल की छोकरी: विमर्श का तीसरा कोंण साथियों, पिछली पोस्ट में हमने ‘छह साल की छोकरी’ कविता विवाद से संदर्भित पक्ष और विपक्ष दोनों को आपके समक्ष रखा था। इस पोस्ट में मैं अपनी बात रखूंगा। हो सकता है आप मुझसे सहमत ना हों, लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि बात
छह साल की छोकरी: बहस के दायरे में NCERT की कक्षा-1 की हिंदी की किताब ‘रिमझिम’ की ‘छै साल की छोकरी’ कविता को लेकर सोशल मीडिया में जोरदार बहस छिड़ गई है। कुछ लोग तो बिना कवि और उसके कालखंड को जाने टिप्पणी कर रहे हैं। यह कविता कवि रामकृष्ण शर्मा खद्दर की
पुण्यतिथि विशेष: शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ और उनकी चयनित कुमाउनी कविताएँ कुमाउनी कवि शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ का जन्म 3 अक्टूबर,1933 को अल्मोड़ा बाजार से 2-3 किलोमीटर दूर माल गांव में हुआ था। आपके पिता का नाम बचे सिंह और माता का नाम लछिमी देवी था। जब शेरदा चार साल के