कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

Category: डॉ. पवनेश की कुमाउनी बाल कविताएँ

10 कुमाउनी बाल कविता-2

10 कुमाउनी बाल कविता-2 1. धौनी काकू धौनी काकू-धौनी काकू छक्क किलै लगूँछा तुम सिईनाक दर्शकों कें झटपट किलै जगूँछा तुम।   2.गर्ज्यागान गोल गोल- गर्ज्यागान थिक थोल- गर्ज्यागान ठुलो ठुलो – गर्ज्यागान मेरो लाड़िलो- गर्ज्यागान।    3. पिपरी बाज ललुवा बजौ- पिपरी बाज कलुवा बजौ- पिपरी बाज मी ले बजूँ – पिपरी बाज तू

10 कुमाउनी बाल कविताएँ- 01

कुमाउनी बाल कविताएँ 1.बिराउ कैं बुखार एक द्वी तीन चार, बिराउ कैं ऐगो भौत बुखार। पांच छै सात आठ, मुसाक हैरईं भौतै ठाठ।। 2. गुणि ददा ! गुणि ददा, गुणि ददा, तू मीकैं इक बात बता। कसिकै रूख में चढ़छैं, कसिकै क ख तूं पढ़छैं। 3. बोलि कुकुड़ बासूँ कूँ- कूँ, वानर करूं खूँ- खूँ।
error: Content is protected !!