कवयित्री देवकी महरा का कुमाउनी साहित्य को योगदान कवयित्री देवकी महरा ज्यूक जनम 26 मई, 1937 को अल्मोड़ा जिला के कठौली (लमगड़ा) गाँव में हुआ। देवकी महरा हिंदी और कुमाउनी दोनों भाषाओं में लिखतीं हैं। उनकी हिंदी में प्रेमांजलि (1960), स्वाति (1980), नवजागृति (2005) तीन कविता संग्रह, अशोक वाटिका में सीता (खंडकाव्य)
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष: कुमाउनी के महावीर: डॉ० हयात सिंह रावत विगत 40 वर्षों से कुमाउनी भाषा व साहित्य के विकास हेतु संघर्ष कर रहे डा0 हयात सिंह रावत का जन्म 11 अक्टूबर, 1955 में अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा ब्लाॅक के मल्ला सालम पट्टी के झालडुंगरा नामक गाँव में
लाकडाउन के बाद सांस्कृतिक नगरी में पहली बार आयोजित हुआ हिंदी कवि सम्मेलन अल्मोड़ा, देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में मोहन उप्रेती लोक संस्कृति कला एवं विज्ञान शोध समिति के तत्वावधान में हिंदी कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। कवि सम्मेलन का शुभारंभ अध्यक्ष व मुख्य अतिथि द्वारा सरस्वती के चित्र पर
चमोली जनपद में ऋषिगंगा नदी पर टूटा बांध, तटीय क्षेत्रों में अलर्ट चमोली, ANI व अन्य मीडिया सूत्रों के अनुसार, रविवार सुबह एवलांच के बाद चमोली जिले के अंर्तगत ऋषिगंगा नदी पर रैणी गांव में निर्माणाधीन 24 मेगावाट के हाइड्रो प्रोजेक्ट का बैराज टूट गया। इसके बाद मलबे और पानी का तेज
साथियों, आज हम पिथौरागढ़ के लेखक व समाजसेवी डॉ. पीतांबर अवस्थी द्वारा लिखित आयुर्वेदिक पुस्तक रोगनाशी जड़ी- बूटियाँ के विषय में चर्चा करते हैं- पुस्तक के विषय में- रोगनाशी जड़ी- बूटियाँ (लेख संग्रह) डॉ. पीताम्बर अवस्थी की कुमाउनी में लिखित यह पुस्तक जड़ी- बूटियों पर जानकारी देने वाली अत्यंत महत्वपूर्ण
सादगी के साथ मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह-2021 अल्मोड़ा, रा० इ० का० नाई ( अल्मोड़ा ) में 72 वें गणतंत्र दिवस समारोह का सादगीपूर्ण आयोजन किया गया। सर्वप्रथम विद्यालय के कक्षा 10 व 12 के छात्र-छात्राओं द्वारा विद्यालय परिसर में प्रभातफेरी निकाली गई और प्रधानाचार्य अनिल कुमार कठेरिया द्वारा ध्वजारोहण किया गया।
राजपथ पर कल यूँ दिखाई देगा उत्तराखंड का सौंदर्य- 72वें गणतंत्र दिवस के लिए उत्तराखंड की झांकी है तैयार कल संपूर्ण देश 72वां गणतंत्र दिवस मनाने के लिए उत्साहित है। कोरोना महामारी के कारण इस बार राजपथ पर आयोजित परेड में कोई मुख्य अतिथि ( चीफ गेस्ट) नहीं होगा। देश के
यात्रावृतांत- गाँव, मंदिर, कंकाल और वह जंगल के बीच का झरना कल मुझे अपने शिक्षक साथी गणेश चंद्र शर्मा के साथ अल्मोड़ा के समीपवर्ती ग्राम बल्टा के भ्रमण का सौभाग्य प्राप्त हुआ। बल्टा गाँव के भ्रमण का उद्देश्य यह था कि यह अल्मोड़ा का समीपवर्ती सब्जी उत्पादक गाँव है। यहाँ के
प्रिय पाठकों, आज हम आपको ले चलते हैं उत्तराखंड के लोक साहित्य की ओर और चर्चा करते हैं लोक साहित्य की विधा ‘न्यौली’ से संबंधित पुस्तक ‘न्यौली सतसई’ की। पुस्तक के विषय में- न्यौली सतसई ‘न्यौली सतसई-१’ पुस्तक के लेेेेखक डॉ. देव सिंह पोखरिया हैं। इस पुुुस्तक का प्रकाशन
अंतर्राष्ट्रीय महत्व का पर्व: घुघुतिया घुघुतिया उत्तराखंड का लोकप्रिय पर्व है। इस दिन आटे, दूध गुड़ अथवा चीनी आदि के मिश्रण से घुघुत नामक खाद्य पदार्थ बनाकर कौवों को खिलाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। घुघुतिया त्योहार के पहले दिन रात में घुघुत बनाये जाते हैं और दूसरे दिन