कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

कुमाउनी श्रीरामचरितमानस- मोहनचंद्र जोशी Kumauni Shriramcharitmanas- Mohan Chandra joshi

कुमाउनी श्रीरामचरितमानस- मोहनचंद्र जोशी
Kumauni Shriramcharitmanas- Mohan Chandra joshi

  

कुमाउनी श्रीरामचरितमानसमोहनचंद्र जोशी

पुस्तक चर्चा के अन्तर्गत हमारी पहली पुस्तक है- कुमाउनी श्रीरामचरितमानस। यह पुस्तक गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित ‘श्रीरामचरितमानस’ का कुमाउनी भावानुवाद है। इस पुस्तक का अनुवाद किया है कुमाउनी कवि व रचनाकार मोहन चंद्र जोशी ने। जोशी जी ने इस पुस्तक के अलावा जयशंकर प्रसाद की ‘कामायनी’ जैसे जटिल महाकाव्य का कुमाउनी अनुवाद करने का कार्य भी किया है। 

      पुस्तक का नाम- कुमाउनी श्रीरामचरितमानस
                 रचनाकार- मोहन चंद्र जोशी

जोशी जी के कुमाउनी श्रीरामचरितमास से कुछ अंश नीचे दिए जा रहे हैं-

दोहा –
उँ योग लग्न ग्रह वार तिथि सबै भया अनुकूल।
चर और अचर हरष भरी राम जनम सुख मूल।। 190।।

चौपाई –
नवमी तिथि चैत म्हैंण पुनीत ।भगवान क् प्रिय शुक्लपक्ष अभिजित।। 
दुफरी बखत न शीत न घामा। उ पावन समय लोक विश्रामा।।
उ शीतल मंद सुगंधित हाव् छी। हर्षित सब सुर संतन मन चाह छि।।
बँण फूल खिलि मणि डाँन् सारा।बगौणिं सब सरितामृत धारा ।।
जब ब्रह्मा ल् अवसर वी जाँण्। ग्याया सबै सुर सजै विमान।। 
देव दलों ल् अगास भरीणीं। गंधर्वों क् गुणगान करणीं।। बरसणी फूल सुअंजलि साजा।घमाघम नगाड़ा नभ म् बाजा।।
स्तुति करणी उँ नाग मुनि देवा। भौत प्रकार दिणिं आपुँ सेवा।।

दोहा –
देवों समूह विनति करि पहुँचा आपण धाम।
जग निवास प्रभु प्रकट हइं सबै लोकों विश्राम।।191।।
( बालकाण्ड) 

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