छ्योड़ि पगली गै बाँजक हरिया-भरिया जङ्व में सरसराट-फरफराट करनीं ठंडि-ठंडि हाव चलणैछि। घुघुतीकि घूर-घूर हौर चाड़-पिटांङोकि चड़-चड़, पड़-पड़ वातावरण कैं मोहक बणूंनैछि। याँ जानवर भौतछि चाड़-पिटांङ भौत छि लेकिन मनखि जातिक दूर-दूर तक क्वे निशान नै छि। ये जङवक दुहरि तरफ पारि डाण में एक गौं छि। ये गौं का बुड़-बाड़ी कूँछि कि ये