कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

Category: गीत ( Songs )

जिंदगी का हश्र

            जिंदगी का हश्र जिंदगी-जिंदगी कहता रहा, मगर जिंदगी को कभी जान न पाया। करता रहा दुनिया की बातें, मगर खुद को कभी पहचान न पाया।   कभी दौलत के पीछे कभी शोहरत के पीछे हर पल-हर दिन भागता रहा पर मुस्कुराने का कोई सामान न पाया। जिंदगी- जिंदगी कहता

जिंदगी की रीत

             जिंदगी की रीत कहीं पर है नफरत, कहीं पर है प्रीत साथिया बड़ी अजब-सी है, जिंदगी की रीत साथिया ।   कोई हंसता है, महलों के पीछे कोई तड़पता है, आसमां के नीचे कहीं पर जागते हैं, अरमां रात भर कहीं पर है नींद साथिया। बड़ी अजब-सी है, जिंदगी
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