कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

Category: डॉ. पवनेश का कुमाउनी साहित्य

लोकगायिका कबूतरी देवी का एक साक्षात्कार ( A Interview with Kumauni folk Singer Kabutari Devi )

लोक गौरवः कबूतरी देवी दगड़ि इंटरव्यू- लोक कलाकारोंकैं उचित सम्मान मिलन चैं- कबूतरी देवी ( मशहूर कुमाउनी लोकगायिका कबूतरी देवीक 7 जुलाई, 2018 हुं निधन भौ। कबूतरी देवी आपण गीतों माध्यमल हमार बीच हमेशा रौलि। यो साक्षात्कार उनरि चेलि लोकगायिका हेमंती देवीक घर सेरी कुंडार (पिथौरागढ़) में दोफरीक 1.20 बाजी लेखक व शिक्षक डाॅ. पवनेश

10 कुमाउनी बाल कविता-2

10 कुमाउनी बाल कविता-2 1. धौनी काकू धौनी काकू-धौनी काकू छक्क किलै लगूँछा तुम सिईनाक दर्शकों कें झटपट किलै जगूँछा तुम।   2.गर्ज्यागान गोल गोल- गर्ज्यागान थिक थोल- गर्ज्यागान ठुलो ठुलो – गर्ज्यागान मेरो लाड़िलो- गर्ज्यागान।    3. पिपरी बाज ललुवा बजौ- पिपरी बाज कलुवा बजौ- पिपरी बाज मी ले बजूँ – पिपरी बाज तू

10 कुमाउनी बाल कविताएँ- 01

कुमाउनी बाल कविताएँ 1.बिराउ कैं बुखार एक द्वी तीन चार, बिराउ कैं ऐगो भौत बुखार। पांच छै सात आठ, मुसाक हैरईं भौतै ठाठ।। 2. गुणि ददा ! गुणि ददा, गुणि ददा, तू मीकैं इक बात बता। कसिकै रूख में चढ़छैं, कसिकै क ख तूं पढ़छैं। 3. बोलि कुकुड़ बासूँ कूँ- कूँ, वानर करूं खूँ- खूँ।

छ्योड़ि पगली गै

      छ्योड़ि पगली गै बाँजक हरिया-भरिया जङ्व में सरसराट-फरफराट करनीं ठंडि-ठंडि हाव चलणैछि। घुघुतीकि घूर-घूर हौर चाड़-पिटांङोकि चड़-चड़, पड़-पड़ वातावरण कैं मोहक बणूंनैछि। याँ जानवर भौतछि चाड़-पिटांङ भौत छि लेकिन मनखि जातिक दूर-दूर तक क्वे निशान नै छि। ये जङवक दुहरि तरफ पारि डाण में एक गौं छि। ये गौं का बुड़-बाड़ी कूँछि कि ये
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