कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

Category: कुमाउनी कविता संसार

कविता संग्रह राफ और राफ से चयनित 5 कविताएँ

कविता संग्रह राफ और राफ से चयनित 5 कविताएँ        डॉ. देव सिंह पोखरिया के ‘राफ’ कविता संग्रह को वर्ष 2022 का शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ कुमाउनी कविता पुरस्कार देने की घोषणा हुई हैं। यहाँ प्रस्तुत है ‘राफ’ कविता संग्रह के विषय में संक्षिप्त जानकारी व संग्रह से चयनित 5 कविताएँ- राफ कविता

कुमाउनी कवि ताराराम आर्य के लोकप्रिय गीत

कवि ताराराम आर्य के लोकप्रिय गीत      7 जुलाई, 1925 को ओखलकांडा (नैनीताल) के गांव सुरंग में जन्मे जनकवि ताराराम आर्य का 98 वर्ष की उम्र में हल्द्वानी में निधन हो गया। कवि ताराराम आर्य की ‘सुंदर लोकगीतों का गुच्छा’ शीर्षक से कई छोटी-छोटी लोकगीतों की पुस्तिकाएँ प्रकाशित हैं।      वे अपनी रचनाओं

कुमाउनी कवि पूरनचंद्र कांडपाल की कुमाउनी कविताएँ

पूरनचंद्र कांडपाल की कुमाउनी कविताएँ 1. इज है ठुल को ?  न सरग न पताव न तीरथ न धाम, इज है ठुल क्वे और न्हैति मुकाम। आपूं स्येतीं गिल म हमूकैं स्येवैं वबाण, हमार ऐरामा लिजी वीक ऐराम हराण। इज क कर्ज है दुनिय में क्वे उऋण नि है सकन, आंचव में पीई दूद क

उत्तराखंड में लागू हो भू कानून- कह रहें हैं युवा रचनाकार

उत्तराखंड में लागू हो भू कानून- कह रहें हैं युवा कुमाउनी रचनाकार       उत्तराखंड में भू-कानून यथाशीघ्र लागू किया जाना चाहिए, क्योंकि किसी भी क्षेत्र पर पहला हक वहाँ की जनता का है। भू-कानून लागू होने से ही यहाँ की जनता को उनका हक मिल पायेगा। ऐसा मानना है यहाँ के युवाओं का।

शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ और उनकी चयनित कुमाउनी कविताएँ

पुण्यतिथि विशेष:  शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ और उनकी चयनित कुमाउनी कविताएँ          कुमाउनी कवि शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ का जन्म 3 अक्टूबर,1933 को अल्मोड़ा बाजार से 2-3 किलोमीटर दूर माल गांव में हुआ था। आपके पिता का नाम बचे सिंह और माता का नाम लछिमी देवी था। जब शेरदा चार साल के

‘कोरोना’ पर कुमाउनी के 7 कवियों की कविताएँ

‘कोरोना’ पर कुमाउनी के 7 कवियों की कविताएँ 1. सबूंल घर में रून छ कोरोनावायरस हरून छ सब लोगों ले घर में रून छ साफ सफाई को राख् ध्यान घर में करो पुज पाठ ध्यान कौतिक म्याला कुछ दिन बंद छन अनुशासन और धैर्ज ले कोरोनावायरस हरूंल अघिल कै त्यार बार मनूल पैंली हमार पुर्खा

हेमंत कांडपाल की कुमाउनी कविताएँ

हेमंत कांडपालकि कुमाउनी कविता            1. प्रकृति प्रकृति हमरि सबु हबै ठुल ईज आज हमु हबे रिस्यै गे ।  कै दयो का धार, कै आग जौस घाम कै हयूं पड़रौ मौत ल्यूडि प्रकृति बेलगाम। रिसी-काव, स्याव बणों बैं हरैगि प्रकृति में सबै तरफ़ कोहराम।  प्लास्टिकक जहर घोई है जाग-जाग हमूकै दिण

चंद्रशेखर कांडपाल की कुमाउनी कविताएँ

  चंद्रशेखर कांडपालकि कुमाउनी कविता                   १. उत्तराखंड राज्य विकासक् नाम परि बणौ उत्तराखंड राज्य। बाव् बै अब उन्नीस सालक् हैगो ज्वान। गधेरू नेताओंक् ले खूब हैरे बहार। अखवार और भाषणों में जी मिलि रौ रूजगार। जो कभै पधान नीं बण सकछी, आज विधायक-सांसद बणि गेई। आपूंणि आघिल

ज्योति तिवारी काण्डपाल की कुमाउनी कविताएँ

ज्योति तिवारी काण्डपालकि कुमाउनी कविता              १. मीं एक चेलि छीं एक तरफ चेलि अंतरिक्ष में पुंज गेईं। वैज्ञानिक ले मंगलयान, तीसर चन्द्रयानक् तैयारी में छन । डीएम, एसपी, लेफ्टिनेंट, सचिव पदों पर लै चेलि छन। यां तक कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश पद तक पुंज गईं। हर रोज अघिल

सुन्दर लाल मदन की कुमाउनी कविताएँ

सुन्दर लाल मदनकि कुमाउनी कविता                      १. पोलेथीन दार किनारा पोलेथीन, गाड़ गध्यारा डाबोटीन। धरती येल पाटी जैली, कसीक ह्वेली नाजबाली। की करून हेमी भोव दिन।  तोड़ो धैं तोड़ो जरा, तोड़ो धैं, अपण नीन।  नानू नान पौध पत्त,  हाय सहनी भौत कष्ट। ख्यण छा तीम यो
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