कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

Category: कविता संसार

ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं- राष्ट्रकवि दिनकर

ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं- राष्ट्रकवि दिनकर अंग्रेजी नववर्ष पर राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता:- ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं, है अपना ये त्यौहार नहीं, है अपनी ये तो रीत नहीं, है अपना ये व्यवहार नहीं। धरा ठिठुरती है शीत से, आकाश में कोहरा गहरा है, बाग़ बाज़ारों की सरहद पर, 

मेरी दोस्त, मैं अब विदा लेता हूँ

कविता परिचय- अवतार सिंह संधू पंजाबी के प्रसिद्ध कवि थे। वे पाश उपनाम से लिखा करते थे। यह कविता उन्होंने अपनी पत्नी के प्रति लिखी है।  मेरी दोस्त, मैं अब विदा लेता हूँ मेरी दोस्त, मैं अब विदा लेता हूँ मैंने एक कविता लिखनी चाही थी सारी उम्र जिसे तुम पढ़ती रह सकतीं उस कविता

प्रिय बहना, मैं अभी जिंदा हूँ

     हमारी वेबसाईट के कालम ‘कविता विशेष’ में आपके सामने जो पहली कविता रखी जा रही है, उसका शीर्षक है- ‘प्रिय बहना, मैं अभी जिंदा हूँ।’ कविता परिचय-      यह कविता साहित्यकार ‘बलवंत मनराल’ के ‘पहाड़ आगे: भीतर पहाड़’ कविता संग्रह से उद्धृत की गई है। कविता उत्तराखंड आंदोलन के समय रामपुर तिराहे
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