ललित शौर्य की कुमाउनी कविताएँ
ललित शौर्य कि कुमाउनी कविता
१. शब्द ब्रह्म हुनि
मैं लड़ते रूंल
आज, भोल और पोर ही जाणेक
तुम गोलि चलाला
मैं कलम चलूल
तुम मकें मार सकछा
मेर शब्दन कै नी मार सकला कभै
किलैकि शब्द
ब्रह्म हुनी
और
यो बात ध्यान धरिया
जो ब्रम्ह छू
उ अमर छू….।
२. आत्मा
आत्मा काटिबेर
आत्मा बेचिबेर
आत्मा गिरवी राखिबेर
विकास हुन रौ
पहाड़ केवल ढुङ्ग, दैण, पाथर, बलू न्हाति
पहाड़ हमरि आत्मा छू।
३. आ गो रे बसंत
प्योली फुलिगे
सरसोंकि पिलपट्ट
मन आफी-आफी
खुशि जस हुन लागरो
प्रकृतिक चमत्कार देखिनों
चारों तरफ
बोट-बटयाव
गीड़, सिंट्याव
फरफराट जस करण लाग रयी
इस चितायनो
धरती ले दुल्हणि बनि
गान लागि रै गीत
आ गो रे बसंत
छा गो रे बसंत…।
४. म्यर पहाड़ौ नौजवान
माची जस रौ
म्यर पहाड़ौ नौजवान।
झूठि रौब झूठि शान
भूलि आपङ बिरानै पछ्याण
माची जस रौ
म्यर पहाड़ौ नौजवान।
बदल गे बोलि, बदल गो पहनावा
बदल हालि देखो खानपान
माची जस रौ
म्यर पहाड़ौ नौजवान।
कोरि फसक, ठुलि-ठुलि डमफ़ाड़
है गयुं मैं देखि हैरान, किलै
माची जस रौ
म्यर पहाड़ौ नौजवान।
जुवा-ताश, खाल्ली डोलान
न्हाति भविष्य लिजी सावधान
माची जस रौ
म्यर पहाड़ौ नौजवान।
*रचनाकार परिचय*
नाम- ललित राठौर ‘शौर्य’
जन्मस्थान- मुवानी (पिथौरागढ़)
शिक्षा- बीटेक (लखनऊ)
कृतियाँ- १. दो पुस्तकें ‘सृजन सुगंधि'( कविता संग्रह) व ‘दादाजी की चौपाल’ (बाल कहानी संग्रह) प्रकाशित।
२. आधा दर्जन पुस्तकों का संपादन।
३. चंपक, आजकल, साहित्य अमृत, नंदन, अमर उजाला, दैनिक जागरण, राष्ट्रीय सहारा आदि राष्ट्रीय पत्रिकाओं व समाचार पत्रों में नियमित लेखन।
४. बाल साहित्य और व्यंग विधा पर विशेष काम।
सम्मान- साहित्य सेवा हेतु समय-समय पर अनेक सम्मानों से सम्मानित।
संपर्क सूत्र- 7351467702
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