कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

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कुमाउनी समालोचना संग्रह: कुमाउनी साहित्य और कुमाउनी लोक साहित्य-विविध संदर्भ

कुमाउनी समालोचना की पहली पुस्तक: कुमाउनी साहित्य और कुमाउनी लोक साहित्यः विविध संदर्भ         डॉ. पवनेश ठकुराठी की वर्ष 2016 में प्रकाशित पुस्तक ‘कुमाउनी साहित्य और कुमाउनी लोक साहित्यः विविध संदर्भ’ कुमाउनी समालोचना की पहली पुस्तक है। इस पुस्तक में कुल 10 समालोचनाएं संगृहीत हैं। ये समालोचनाएं क्रमशः गिर्दाकि कुमाउनी कविताओंक समग्र

गोपाल बोरा को मिलेगा गंगा अधिकारी स्मृति नाटक लेखन पुरस्कार

गोपाल बोरा को मिलेगा गंगा अधिकारी स्मृति नाटक लेखन पुरस्कार 2021     अल्मोड़ा, इस वर्ष का गंगा अधिकारी स्मृति नाटक लेखन पुरस्कार कुमाउनी लेखक गोपाल बोरा को दिया जायेगा। इस नाटक लेखन पुुुरस्कार हेतु चयनित समिति के सदस्यों द्वारा विचार-विमर्श के बाद श्री गोपाल बोरा (बागेश्वर) का नाम घोषित किया गया। श्री बोरा को

कुमाउनी का पहला व्यंग्य संग्रह: ठेकुवा

कुमाउनी का पहला व्यंग्य संग्रह: ठेकुवा पुस्तक के विषय में-       कुमाउनी कवि और लेखक प्रकाश चंद्र जोशी ‘शूल’ के ‘ठेकुवा’ व्यंग्य संग्रह का प्रकाशन मार्च, 2012 में हिमाल प्रेस, पिथौरागढ़ से हुआ। इस व्यंग्य संग्रह में शूल जी के भल फिरि ऊनु, ठेकुवा, ई काफल हैं सैपो, लाल कुत्तम अति उत्तम, सड़ियौ

प्रो.शेर सिंह बिष्ट: गोल्ड मेडल से हिंदी विभागाध्यक्ष तक की यात्रा

श्रद्धेय गुरू व साहित्यकार प्रो. शेर सिंह बिष्ट का 19 अप्रैल, 2021 को निधन हो गया। उनके निधन से साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र की अपूरणीय क्षति हुई है। यहाँ प्रस्तुत है प्रो. बिष्ट के शैक्षिक व साहित्यिक योगदान का संक्षिप्त विवरण- प्रो. शेर सिंह बिष्ट: गोल्ड मेडल से हिंदी विभागाध्यक्ष तक की यात्रा जन्म और

कुमाउनी खंडकाव्य-पंचप्रिया: डॉ. पीताम्बर अवस्थी

कुमाउनी खंडकाव्य-पंचप्रिया: डॉ. पीताम्बर अवस्थी   साथियों, आज हम पिथौरागढ़ के लेखक व समाजसेवी डॉ. पीतांबर अवस्थी द्वारा रचित कुमाउनी खंडकाव्य ‘पंचप्रिया’ के विषय में चर्चा करते हैं-  पुस्तक के विषय में-            पंचप्रिया            पंचप्रिया डॉ. पीतांबर अवस्थी जी का कुमाउनी खंडकाव्य है। यह खंडकाव्य वर्ष 2020 में

कुमाउनी की पहली महिला कवयित्री: देवकी महरा

कवयित्री देवकी महरा का कुमाउनी साहित्य को योगदान       कवयित्री देवकी महरा ज्यूक जनम 26 मई, 1937 को अल्मोड़ा जिला के कठौली (लमगड़ा) गाँव में हुआ। देवकी महरा हिंदी और कुमाउनी दोनों भाषाओं में लिखतीं हैं। उनकी हिंदी में प्रेमांजलि (1960), स्वाति (1980), नवजागृति (2005) तीन कविता संग्रह, अशोक वाटिका में सीता (खंडकाव्य)

कुमाउनी के महावीर: डॉ० हयात सिंह रावत

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष:  कुमाउनी के महावीर: डॉ० हयात सिंह रावत           विगत 40 वर्षों से कुमाउनी भाषा व साहित्य के विकास हेतु संघर्ष कर रहे डा0 हयात सिंह रावत का जन्म 11 अक्टूबर, 1955 में अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा ब्लाॅक के मल्ला सालम पट्टी के झालडुंगरा नामक गाँव में

न्यौलि विधा की एकमात्र पुस्तक: न्यौलि सतसई

    प्रिय पाठकों, आज हम आपको ले चलते हैं उत्तराखंड के लोक साहित्य की ओर और चर्चा करते हैं लोक साहित्य की विधा ‘न्यौली’ से संबंधित पुस्तक ‘न्यौली सतसई’ की। पुस्तक के विषय में- न्यौली सतसई         ‘न्यौली सतसई-१’ पुस्तक के लेेेेखक डॉ. देव सिंह पोखरिया हैं। इस पुुुस्तक का प्रकाशन

लोकगायक हीरा सिंह राणा का कुमाउनी लोकसंगीत व साहित्य को योगदान

लोकगायक हीरा सिंह राणा का कुमाउनी लोकसंगीत व साहित्य को योगदान (Contribution of folk singer Heera Singh Rana to Kumauni folk music and literature)        साथियों, 13 जून, 2020 की रात्रि 2 बजे लोकगायक हीरा सिंह राणा के रूप में कुमाउनी लोकसंगीत के एक सुनहरे अध्याय का अंत हो गया। राणा जी का

हेमंत कांडपाल की कुमाउनी कविताएँ

हेमंत कांडपालकि कुमाउनी कविता            1. प्रकृति प्रकृति हमरि सबु हबै ठुल ईज आज हमु हबे रिस्यै गे ।  कै दयो का धार, कै आग जौस घाम कै हयूं पड़रौ मौत ल्यूडि प्रकृति बेलगाम। रिसी-काव, स्याव बणों बैं हरैगि प्रकृति में सबै तरफ़ कोहराम।  प्लास्टिकक जहर घोई है जाग-जाग हमूकै दिण
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