January 14, 2020
ललित शौर्य की कुमाउनी कविताएँ
ललित शौर्य कि कुमाउनी कविता १. शब्द ब्रह्म हुनि मैं लड़ते रूंल आज, भोल और पोर ही जाणेक तुम गोलि चलाला मैं कलम चलूल तुम मकें मार सकछा मेर शब्दन कै नी मार सकला कभै किलैकि शब्द ब्रह्म हुनी और यो बात ध्यान धरिया जो ब्रम्ह छू उ अमर छू….।