कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

डॉ. पवनेश का कविता संग्रह- नदी एक डायन थी

कविता संग्रह – नदी एक डायन थी

( Poetry Collection-Nadi Ek Dayan Thi )

     साल 2013 में अल्मोड़ा किताब घर से प्रकाशित पवनेश ठकुराठी के इस हिंदी कविता संग्रह में कुल 47 कविताएँ संगृहीत हैं। ये कविताएँ 16,17 जून, 2013 को उत्तराखंड में आई भीषण प्राकृतिक आपदाओं पर केंद्रित हैं। ये कविताएँ प्रकृति के आक्रोश को व्यक्त करने के साथ-साथ आपदाओं के प्रति लोगों को सचेत करती हैं। 


किताब का नाम- नदी एक डायन थी
विधा- हिंदी कविता संग्रह
रचनाकार- पवनेश ठकुराठी
प्रकाशक- अल्मोड़ा किताब घर, अल्मोड़ा। 
प्रकाशन वर्ष- 2013
मूल्य- 40 ₹
पृ० सं०- 52
संस्करण- पेपरबैक


संग्रह से चयनित एक कविता

सैनिकों ! तुम्हें सलाम !! 

चाहे सीमा की सुरक्षा हो
या हो आम नागरिक की सेवा
हर कार्य में अग्रिम पंक्ति में, खड़े रहते हो तुम
इसलिए वतन के लिए तुम्हीं हो राम, तुम्हीं हो श्याम ! 
                                     सैनिकों ! तुम्हें सलाम !! 

जल-थल-वायु हर क्षेत्र में
निज शौर्य गाथा लिखने वाले
वीरता के प्रतीक, विजय के बिम्ब
तुम्हीं से ऊंचा है, देश का नाम ! 
                         सैनिकों ! तुम्हें सलाम !! 

लाखों बेबसों को तुमने बसाया
वतन के हर हिस्से को तुमने सजाया
हे साहस के पुजारियो ! 
अमरत्व के साधको ! 
जितना भी लिखा जाय, 
कम है तुम्हारे लिए, कलम का हर कलाम ! 
                           सैनिकों ! तुम्हें सलाम !! 

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