कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

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डॉ. पवनेश का कविता संग्रह- नदी एक डायन थी

कविता संग्रह – नदी एक डायन थी ( Poetry Collection-Nadi Ek Dayan Thi )      साल 2013 में अल्मोड़ा किताब घर से प्रकाशित पवनेश ठकुराठी के इस हिंदी कविता संग्रह में कुल 47 कविताएँ संगृहीत हैं। ये कविताएँ 16,17 जून, 2013 को उत्तराखंड में आई भीषण प्राकृतिक आपदाओं पर केंद्रित हैं। ये कविताएँ प्रकृति

मेरा गाँव

मेरा गाँव   पंछी गा रहे हैं शाखों पर शबनम नाच रही है पत्तों पर   भंवरे मस्त हैं फूलों पर तितलियाँ झूल रही हैं झूलों पर   डाकिया ले जा रहा है पत्र कच्ची पुलिया पर चलकर नदी के उस पार   बारात गुजर रही है सरसों के खेतों से होकर गूंज रही है

दोस्ती

दोस्ती गर्मियों के दिन थे, गाँव के बच्चों ने नदी में नहाने की योजना बनाई। रविवार को सभी बच्चे नदी की ओर चल दिए। जब सभी बच्चे नदी में नहा रहे थे, ठीक उसी समय मोहन का पैर फिसल गया और वह बहाव में बहने लगा। मोहन को बहते देख राकेश ने उस ओर छलांग
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