September 3, 2019
उसके जाने से
उसके जाने से
बारिश की लाखों बूदें
उतना नहीं भिगा पाई मुझे
जितना उसके नयनों से गिरती
दो बूदों ने भिगाया मुझे
दुखों की मार
उतना नहीं रूलाती मुझे
जितना उसकी यादों ने
रूलाया मुझे
वो चली गई मुझे छोड़कर
उसी तरह
जिस तरह चला जाता है कोई
अपना पुस्तैनी मकान छोड़कर
बादल आते हैं, अब भी
हवाएँ चलती हैं, अब भी
बारिश होती है, अब भी
फूल खिलते हैं, अब भी
बादलों का आना
हवाओं का चलना
बारिश का होना
फूलों का खिलना
कुछ भी मुझे
अच्छा नहीं लगता
अच्छा लगता है मुझे धुआँ
अच्छी लगती है राख
अच्छी लगती है मुझे मिट्टी।।
© Dr. Pawanesh
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