उसके जाने से   बारिश की लाखों बूदें उतना नहीं भिगा पाई मुझे जितना उसके नयनों से गिरती दो बूदों ने भिगाया मुझे   दुखों की मार उतना नहीं रूलाती मुझे जितना उसकी यादों ने रूलाया मुझे   वो चली गई मुझे छोड़कर उसी तरह जिस तरह चला जाता है कोई अपना पुस्तैनी मकान छोड़कर