कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

उसके जाने से

उसके जाने से

 

बारिश की लाखों बूदें

उतना नहीं भिगा पाई मुझे

जितना उसके नयनों से गिरती

दो बूदों ने भिगाया मुझे

 

दुखों की मार

उतना नहीं रूलाती मुझे

जितना उसकी यादों ने

रूलाया मुझे

 

वो चली गई मुझे छोड़कर

उसी तरह

जिस तरह चला जाता है कोई

अपना पुस्तैनी मकान छोड़कर

 

बादल आते हैं, अब भी

हवाएँ चलती हैं, अब भी

बारिश होती है, अब भी

फूल खिलते हैं, अब भी

 

बादलों का आना

हवाओं का चलना

बारिश का होना

फूलों का खिलना

कुछ भी मुझे

अच्छा नहीं लगता

 

अच्छा लगता है मुझे धुआँ

अच्छी लगती है राख

अच्छी लगती है मुझे मिट्टी।।

 

© Dr.  Pawanesh

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