कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

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चित्र 3, दीवारों पर फूल, घास, जलाशय, कमल, बत्तख, मछली, पेड़ आदि का चित्रांकन

प्रोजेक्ट कायाकल्प, भाग-3, दीवारें बोलती हैं           रा० इ० का० नाई (अल्मोड़ा) में प्रोजेक्ट कायाकल्प के तीसरे भाग ‘दीवारें बोलती हैं’ के अंतर्गत विद्यालय की दीवारों में चित्रांकन, पेंटिंग व लेखन का कार्य किया गया। इस भाग को हिंदी प्रवक्ता डॉ. पवनेश ठकुराठी के दिशा-निर्देश में संपन्न किया गया। इस हेतु

उसके जाने से

उसके जाने से   बारिश की लाखों बूदें उतना नहीं भिगा पाई मुझे जितना उसके नयनों से गिरती दो बूदों ने भिगाया मुझे   दुखों की मार उतना नहीं रूलाती मुझे जितना उसकी यादों ने रूलाया मुझे   वो चली गई मुझे छोड़कर उसी तरह जिस तरह चला जाता है कोई अपना पुस्तैनी मकान छोड़कर
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