कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

स्याही बनकर आती रहो

  स्याही बनकर आती रहो

बहुत उदास है जिंदगी

इसलिए तुम मुस्काती रहो

हम हंसते रहेंगे। 

बहुत बेसुरे से हैं सुर

इसलिए तुम गाती रहो

हम सुनते रहेंगे। 

चांद के पास अपनी रोशनी भी तो नहीं

इसलिए तुम किरण बनके चमकाने रहो

हम चमकते रहेंगे। 

बहुत नादान है ये दिल

कुछ समझता ही नहीं

इसलिए तुम समझाती रहो

हम समझते रहेंगे। 

जिंदगी कटेगी नहीं तुम बिन

मालूम है हमें

इसलिए स्याही बनकर

कलम में आती रहो। 

हम उम्र भर ढाई आखर

लिखते रहेंगे। 

 

 

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