कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

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जिंदगी की रीत

             जिंदगी की रीत कहीं पर है नफरत, कहीं पर है प्रीत साथिया बड़ी अजब-सी है, जिंदगी की रीत साथिया ।   कोई हंसता है, महलों के पीछे कोई तड़पता है, आसमां के नीचे कहीं पर जागते हैं, अरमां रात भर कहीं पर है नींद साथिया। बड़ी अजब-सी है, जिंदगी

स्याही बनकर आती रहो

  स्याही बनकर आती रहो बहुत उदास है जिंदगी इसलिए तुम मुस्काती रहो हम हंसते रहेंगे।  बहुत बेसुरे से हैं सुर इसलिए तुम गाती रहो हम सुनते रहेंगे।  चांद के पास अपनी रोशनी भी तो नहीं इसलिए तुम किरण बनके चमकाने रहो हम चमकते रहेंगे।  बहुत नादान है ये दिल कुछ समझता ही नहीं इसलिए
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