सुन्दर लाल मदन की कुमाउनी कविताएँ
सुन्दर लाल मदनकि कुमाउनी कविता
१. पोलेथीन
दार किनारा पोलेथीन, गाड़ गध्यारा डाबोटीन।
धरती येल पाटी जैली, कसीक ह्वेली नाजबाली।
की करून हेमी भोव दिन।
तोड़ो धैं तोड़ो जरा, तोड़ो धैं, अपण नीन।
नानू नान पौध पत्त,
हाय सहनी भौत कष्ट।
ख्यण छा तीम यो ढगी जैनी ,
इनिन कें हावक कमी कर द्यू नष्ट।
सोचो जरा गोरू बाछा,
की खाला घा पात बिन।। दार किनारा…।
छ्वट म्वट बरख छिट,
है न पान धरती मे फिट।
पणनी यम्मे धुरी जैनी,
सब कुनी ठुलगाड़ हिट।
सोचो जरा कसी फिटेली ,
सुकी सुकी धरती तीस।
तमार हमार पाणी पीस।। दार किनारा …।
गोरू खाला बाछा खाला,
फैलली जब जब यो खुब।
सेहत उनारी गिरी जैली,
कसीक मिलोल शुद्ध दूद।
सोचो जरा कोमप्लेन,
कसी खाला फिर नान तीन।। दार किनारा…।
२. शरैबीनाक बहान
दाज्यू….!
एक एब हुण जरूरी हूँ।
मनक सारे डर भ्येर भजूड़तैे।
नई जाग मे नई दगडू बड़ूड़तैे।
दुकानदारीनाक दुकान चलूणतै।
उत्तराखंडक अर्थव्यवस्था के पटरी में लूणतै।
दाज्यू एक एब हुण बहोत जरूरी हूँ।।
दाज्यू….!
हर प्रकारक समाजक सक्रिय मेम्बर बड़ी रूड़तै।
ठुल हबे ठुल मुद्दन में आम सहमति बणूड़तै।।
आड़ त्यर्छ सारे बातन कें एक झट्क में भूलूड़तै।
आपण पसंदक उम्मीदवार कें पद में लूणड़तैं।
दाज्यू एक एब हुण बहोत जरूरी हूँ।।
दाज्यू….!
कन्टम हबे कंटम आदिम कें छाव छरबट बड़ूणतै।
पाजी हबे पाजी आदिम छै दिनभैरी काम करूणतै।
ढोलक थोप में बेझीजक नाचूणतै।
बुड़ खुढनाक पोथिल बणी रूड़तै।
दाज्यू एक एब हूण भौत्ते जरूरी हूँ।।
सही कुनछै भुला..
रातक उतारनै तैं रैत्तीक निकालनतै।
भलनक हर प्रकार क आदिम छै मुख बीगाड़नतै।
कैंसर जस बीमारीक एहसास शरीर में उतारणते।
ठुल हबे ठुल डाक्टरन कें पछ्याणनैतै।
भौत सही कुनछै भूला
एक एब हुण बहोत जरूरी छू।।
* रचनाकार परिचय*
नाम- सुन्दर लाल मदन
इज- श्रीमती गोविंदी देवी
बौज्यू- श्री मदन राम
जन्म- 01 मई, 1986
निवासी- ग्राम- देवीपुरा, रामनगर।
मूल निवासी- बागेश्वर, दफोट
जिला- नैनीताल
शिक्षा- एम. ए. (इतिहास)
शौक- पढ़न लेखण, गीत लेखण, गीत गान और सुणन। समाजिक काम करण।
वर्तमान में सेवा- बहुराष्ट्रीय कम्पनी टाटा मोटर्स में कार्यरत।
संपर्क – ए- ब्लॉक, रूपनगर छोटी मुखानी, हल्द्वानी।
मो.- 9759892401
***
Share this post