सुन्दर लाल मदनकि कुमाउनी कविता                      १. पोलेथीन दार किनारा पोलेथीन, गाड़ गध्यारा डाबोटीन। धरती येल पाटी जैली, कसीक ह्वेली नाजबाली। की करून हेमी भोव दिन।  तोड़ो धैं तोड़ो जरा, तोड़ो धैं, अपण नीन।  नानू नान पौध पत्त,  हाय सहनी भौत कष्ट। ख्यण छा तीम यो