संतोष जोशी की कुमाउनी कविताएँ
संतोष जोशीकि कुमाउनी कविता
१. डोईण दे
अरे डोई छौं मैं डोइण दे
यौ देशौं वु देशु बहिण दे।
पौ भरि जै ज्यूनि यौ भागि
मायालो पराण तीस बुझिण दे।
अरे डोई छौ मैं डोईण दे।
क्वाखनि जौस लुकिछैं किलै
घुनाओनि मुनई टेक्यौं छै किलै
निकौव भतेर बै भ्यार भागि
दढ़बढ़ौ पराण मणि रगबगिण दे
अरे डोई छौ मैं डोईण दे।
टक ट्यानि जै है रौ छौ जमान
ढ़ुगंम् जौस धरि खापड़ि तमान
यौ खापड़ि कै मणि बटोई रे
दिनों कै भलि भै यौ समेरिण दे।
अरे डोई छौं मैं डोईण दे।।
२. उड़ैदी साल
फर फरयां जौस उड़ैदी साल
थिर फार कै लै नि हौदी साल
ज्यूनी यैं कभै चम्म चमकौं मी
मीकै के लै नि यौ बतौंदि साल…
फर फरयां जौस उड़ैदी साल..।
आज भोव अर् भोव आज
यसकै बिती जौस रात्ती ब्याल
आपणी आपणि सुणौंण तालै
भागि खस्स खसकी जानि साल…
फर फरयां जौस उड़ैदी साल..।
स्यूनि जौस मी बटौंवण में रई
भौल बख्त कै मी पखोवण्ं में रई
हिटनी बाटनी बाटुई लागी भागि
बाटुई मा नै क्वै क्ये सुणुणौं हाल…
फर फरयां जौस उड़ैदी साल..।।
३. त्यार व्यार मारणई त्यूड़
द बज्जर वे ईजा छोड़ि आब
पलिके धरि अपूण त्यार व्यार..
यो देशि त्यारौं कि बधै दिणयीं
अपूण भूल गई पित्रोंक संस्कार..
घुघुतिया,घ्यू,हर्याव,बग्वाई,च्यूड़
कसिकै मारि हमूल फरांग त्यूड़..
व्हाटसप फेसबुक यौ इंटरनेट ल
अपछ्याण करि लगाई जौस ध्यूड़..
तीर माथ वार धार पार धार
एक के एक सबौ देखा देखी है रै..
कै धै मी जै कम जै के छि वे भागि
फैसन म्यर लै अछ्याल अणकसि है रै..
भूलि जै गई हो कथां हमेरी धुरि छि
पै आज कथां हमेरी आस जाण लै रै..
वलि टुक बै यौ कसि हमेरी बाखई छि
के भौ नौल यौ बख्त कि नास हुण भै रै..
आपणिं आपणि खाई खापणीं कै मणि
सौल्झ्यूण लै थामण लै बुथ्यूण पड़ौल..
मणि हमेरि मणि तुमेरि मणि सबनकै की
नई सोच सबै हियै मा भागि बणूल पड़ौल..
देवभूमि तै कुविचारी भ्रस्टाचारी बनूणी कै
हमुकै ईजु बाबू की याद दिलूण पड़ौल..
कुछ न कुछ त दाज्यू हमनकै करण पड़ौल।।
*रचनाकार परिचय*
नाम- संतोष जोशी
रचना- पत्र-पत्रिकाओं में कविता, लेख प्रकाशित।
ग्राम-परेणा
पो.आ.- कंधार
तहसिल-गरुड़,
जिला-बागेश्वर, 263625, उत्तराखण्ड।मो.-9540689825
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