चंद्रशेखर कांडपालकि कुमाउनी कविता १. उत्तराखंड राज्य विकासक् नाम परि बणौ उत्तराखंड राज्य। बाव् बै अब उन्नीस सालक् हैगो ज्वान। गधेरू नेताओंक् ले खूब हैरे बहार। अखवार और भाषणों में जी मिलि रौ रूजगार। जो कभै पधान नीं बण सकछी, आज विधायक-सांसद बणि गेई। आपूंणि आघिल
देव सतीकि कुमाउनी कविता १. पहाड़ै बात हरि भरि सारा म्येरि पहाड़ों की धारा दिन बानरूल रात सुवरूक उज्जाड़ा गर्मिक दिनों में पाणिक मारमारा खेत बाजि हैगीं हरि भरि सारा के कुनू ददा आपुण बाता दिन नै चैना नींद नै राता जंगोव कटिगी महल बनिगी आब नै रैगी खेत सीढ़ीदारा धोंतिले