कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

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‘कोरोना’ पर कुमाउनी के 7 कवियों की कविताएँ

‘कोरोना’ पर कुमाउनी के 7 कवियों की कविताएँ 1. सबूंल घर में रून छ कोरोनावायरस हरून छ सब लोगों ले घर में रून छ साफ सफाई को राख् ध्यान घर में करो पुज पाठ ध्यान कौतिक म्याला कुछ दिन बंद छन अनुशासन और धैर्ज ले कोरोनावायरस हरूंल अघिल कै त्यार बार मनूल पैंली हमार पुर्खा

हेमंत कांडपाल की कुमाउनी कविताएँ

हेमंत कांडपालकि कुमाउनी कविता            1. प्रकृति प्रकृति हमरि सबु हबै ठुल ईज आज हमु हबे रिस्यै गे ।  कै दयो का धार, कै आग जौस घाम कै हयूं पड़रौ मौत ल्यूडि प्रकृति बेलगाम। रिसी-काव, स्याव बणों बैं हरैगि प्रकृति में सबै तरफ़ कोहराम।  प्लास्टिकक जहर घोई है जाग-जाग हमूकै दिण

ज्योति तिवारी काण्डपाल की कुमाउनी कविताएँ

ज्योति तिवारी काण्डपालकि कुमाउनी कविता              १. मीं एक चेलि छीं एक तरफ चेलि अंतरिक्ष में पुंज गेईं। वैज्ञानिक ले मंगलयान, तीसर चन्द्रयानक् तैयारी में छन । डीएम, एसपी, लेफ्टिनेंट, सचिव पदों पर लै चेलि छन। यां तक कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश पद तक पुंज गईं। हर रोज अघिल

संतोष जोशी की कुमाउनी कविताएँ

 संतोष जोशीकि कुमाउनी कविता              १. डोईण दे अरे डोई छौं मैं डोइण दे यौ देशौं वु देशु बहिण दे।  पौ भरि जै ज्यूनि यौ भागि मायालो पराण तीस बुझिण दे।  अरे डोई छौ मैं डोईण दे।  क्वाखनि जौस लुकिछैं किलै घुनाओनि मुनई टेक्यौं छै किलै निकौव भतेर बै भ्यार

देव सती की कुमाउनी कविताएँ

देव सतीकि कुमाउनी कविता         १. पहाड़ै बात हरि भरि सारा म्येरि पहाड़ों की धारा दिन बानरूल रात सुवरूक उज्जाड़ा गर्मिक दिनों में पाणिक मारमारा खेत बाजि हैगीं हरि भरि सारा के कुनू ददा आपुण बाता दिन नै चैना नींद नै राता जंगोव कटिगी महल बनिगी आब नै रैगी खेत सीढ़ीदारा धोंतिले

भुवन बिष्ट की कुमाउनी कविताएँ

   भुवन बिष्टकि कुमाउनी कविता                      १. सरस्वती बंदना दैण हैजा माता मेरी सरस्वती, दिये माता भौल बुलाण भलि मति।            एक हाथ किताब त्यौर,            एक हाथ छौ वीणा। मैं बालक अबोध अज्ञानी, आयूँ  मैं तेरी शरणा।    
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