कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

मेरा गाँव

मेरा गाँव

 

पंछी गा रहे हैं शाखों पर

शबनम नाच रही है पत्तों पर

 

भंवरे मस्त हैं फूलों पर

तितलियाँ झूल रही हैं झूलों पर

 

डाकिया ले जा रहा है पत्र

कच्ची पुलिया पर चलकर

नदी के उस पार

 

बारात गुजर रही है

सरसों के खेतों से होकर

गूंज रही है ध्वनि

हवाओं में नगाड़ों की

 

मेरे गांव की छवि

अभी लग रही है

अठारह वर्ष के युवा-सी।

 

© Dr. Pawanesh

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