दुदबोलि के उन्नायक: मथुरादत्त मठपाल
साथियों, कुमाउनी भाषा-साहित्य के अनन्य सेवक मथुरादत्त मठपाल जी का विगत 9 मई को निधन हो गया। मठपाल जी का कुमाउनी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह आलेख उन्हीं को समर्पित-
दुदबोलि के उन्नायक: मथुरादत्त मठपाल
कुमाउनी के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले संपादक व रचनाकार मथुरादत्त मठपाल का जन्म अल्मोड़ा जनपद के नौला गाँव (भिकियासैण) में 29 जून, 1941 में हुआ था। आपके पिता का नाम श्री हरिदत्त मठपाल और माता का नाम श्रीमती कांति देवी मठपाल था। आपने मिशन इंटर कालेज रानीखेत से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अध्यापन का कार्य किया। इसके बाद प्राइवेट से बीए उत्तीर्ण करने के पश्चात् आप अल्मोड़ा आये, ताकि बी.टी. का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें। बी.टी. करने के बाद आपने अपनी सेवाएँ विनायक इंटर कॉलेज में दीं। आपने इस कालेज में 35 वर्ष तक इतिहास विषय के अध्यापन का कार्य किया और वर्ष 1998 में आप रिटायर्ड हुए।
एक रचनाकार के रूप में मठपाल जी की ख्याति एक कवि के रूप में थी। मठपाल जी को बचपन से ही कविता लिखने का शौक था। आप हिंदी और कुमाउनी दोनों भाषाओं में कविताएँ लिखते थे, बावजूद इसके आपकी ख्याति कुमाउनी कवि के रूप में अधिक है। मठपाल जी की पहली कुमाउनी कविता रानीखेत से प्रकाशित होने वाली ‘कुंजराशन’ साप्ताहिक पत्रिका में छपी।
प्रकाशित पुस्तकें-
(क) मौलिक पुस्तकें-
1. आङ्ग-आङ्ग चिचैल हैगो (कुमाउनी कविता संग्रह, 1990 ई०)
2. पै मैं क्यापक क्याप कै भैटुनू (कुमाउनी कविता संग्रह, 1990 ई०)
3. मनख-सतसई (कुमाउनी कविता संग्रह, 2006 ई०)
4. फिर प्योलि हँसैं (कुमाउनी कविता संग्रह, 2006 ई०)
5. रामनाम भौत ठुल (कुमाउनी कविता संग्रह)
6. हर माटी है मुझको चंदन (हिंदी काव्य संग्रह)
7. क्या अतीत के गीत सुनाऊँ (हिंदी काव्य संग्रह)।
(ख) अनुवाद-
1. था मेरा घर भी यहीं कहीं ( हिमवंत कवि चन्द्रकुँवर बर्त्वाल की अस्सी हिंदी कविताओं का कुमाउनी अनुवाद, 2013 ई०)
2. अनपढ़ी ( शेरदा ‘अनपढ़’ की एक दर्जन कुमाउनी कविताओं का हिंदी अनुवाद, 1986 ई० )
3. गोमती गगास ( कवि गोपाल दत्त भट्ट की सोलह कुमाउनी कविताओं का हिंदी अनुवाद,1987 ई०)
4. हम पीर लुकाते रहे (सुप्रसिद्ध कवि और गायक हीरा सिंह राणा की सत्तरह कविताओं का हिंदी गद्यानुवाद, 1989 ई० )
5. इन प्राणों में पीड़ा जागी ( कवि, पत्रकार,समाजवादी विचारक, स्वतंत्रता सेनानी व समाजसेवी ‘फक्कड़’ विधायक नाम से चर्चित युगपुरुष स्व.रामदत्त जोशी ( 1929-2002 ) की संक्षिप्त जीवन गाथा-2016 ई० )।
(ग) संपादन-
1. दुदबोलि ( कुमाउनी पत्रिका, वर्ष 2000 से प्रारंभ)
2. कौ सुवा काथ कौ ( कुमाउनी के 99 कहानीकारों का संकलन, 2020 ई०)
रामगंगा प्रकाशन-
मठपाल जी का अपना निजी प्रेस भी था और इस प्रेस का नाम था- रामगंगा प्रकाशन। इस प्रेस से उन्होंने स्वयं की व अन्य लेखकों की लगभग दो दर्जन कुमाउनी व हिंदी पुस्तकों का प्रकाशन भी किया।
दुदबोलि पत्रिका-
मठपाल जी ने कुमाउनी की दुदबोलि पत्रिका का प्रकाशन 2000 ई० से शुरू किया। शुरुआत में यह पत्रिका त्रैमासिक थी, जिस दौरान इसके कुल 24 अंक प्रकाशित हुए। वर्ष 2006 से इसे वार्षिक कर दिया गया। इस पत्रिका के माध्यम से उन्होंने कुमाउनी के तमाम नये-पुराने रचनाकारों को एक मंच प्रदान किया।
‘पहरू’ का मथुरादत्त मठपाल विशेषांक-
डॉ. हयात सिंह रावत द्वारा संपादित कुमाउनी मासिक पत्रिका ‘पहरू’ का जून, 2020 अंक साहित्यकार मथुरादत्त मठपाल पर केंद्रित है। इस विशेषांक में संपादकीय सहित कुमाउनी के 20 लेखकों के 20 आलेख व एक साक्षात्कार संकलित किये गए हैं। विशेषांक मठपाल जी के योगदान को तो रेखांकित करता ही है, साथ ही कई जानकारियां भी प्रदान करता है।
मथुरादत्त मठपाल पर शोधकार्य-
साहित्यकार मथुरादत्त मठपाल पर डा. गिरीश चंद्र पंत के निर्देशन में राज० स्ना० महा० रामनगर से कृष्ण चंद्र मिश्रा ‘कपिल’ शोधकार्य कर रहे हैं। उनके पीएचडी शोध का विषय है- कुमाउनी भाषा और साहित्य के विकास में मथुरादत्त मठपाल का योगदान। शोधार्थी कृष्ण चंद्र का कहना है कि मथुरादत्त मठपाल का कुमाउनी को सबसे बड़ा योगदान ‘दुदबोलि’ पत्रिका का प्रकाशन था। उनका कहना है कि मठपाल जी को हिंदी, कुमाउनी के अलावा अंग्रेजी, संस्कृत, नेपाली और उर्दू भाषाओं का भी अच्छा ज्ञान था। उन्होंने कुमाउनी कविता को कौतिकों से कुमाउनी कवि गोष्ठियों तक पहुंचाया। गोष्ठियों में उनके चेहरे के नाटकीय भाव आकर्षण का केंद्र रहते थे।
कवि मथुरादत्त मठपाल पर कुछ लघुशोध भी कुमाऊँ विश्वविद्यालय में हो चुके हैं।
पुरस्कार व सम्मान-
साहित्य सेवा हेतु मथुरादत्त मठपाल जी को निम्न पुरस्कारों व सम्मानों से अलंकृत किया गया-
1. उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा वर्ष 1988 में सुमित्रानंदन पंत नामित पुरस्कार।
2. कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी (अल्मोड़ा) द्वारा वर्ष 2009 में कुमाउनी साहित्य सेवी सम्मान।
3. उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा 16 अप्रैल, 2011 को डॉ. गोविंद चातक सम्मान।
4. साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2014 में साहित्य अकादमी भाषा पुरस्कार।
5. कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी (अल्मोड़ा) द्वारा वर्ष 2015 में शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ कुमाउनी कविता पुरस्कार-2015
6. चन्द्रकुंवर बर्त्वाल स्मृति शोध संस्थान समिति द्वारा अगस्त 2019 में हिमवन्त साहित्य सम्मान।
कुमाउनी कवि मथुरादत्त मठपाल ने अपनी कविताओं के माध्यम न सिर्फ कुमाउनी कविता को एक नई ऊंचाई दी, बल्कि ‘दुदबोलि’ पत्रिका के माध्यम से कुमाउनी भाषा व साहित्य का निरंतर उन्नयन किया। ‘पहरू’ संपादक डॉ. हयात सिंह रावत ने उन्हें कुमाउनी भाषा का सिरमौर कवि कहा है। साहित्यिक पत्रिका ‘नवल’ के संपादक हरिमोहन जी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा है- “अपने एक वरिष्ठ सहयोगी, शुभचिन्तक और मार्गदर्शक के असमय बिछड़ जाने से हम स्तब्ध हैं। परमपिता दिवंगत आत्मा को शांति एवं परिवारजनों को दुःख की इस घड़ी में शक्ति प्रदान करे।”
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