पूरनचंद्र कांडपाल की कुमाउनी कविताएँ 1. इज है ठुल को ? न सरग न पताव न तीरथ न धाम, इज है ठुल क्वे और न्हैति मुकाम। आपूं स्येतीं गिल म हमूकैं स्येवैं वबाण, हमार ऐरामा लिजी वीक ऐराम हराण। इज क कर्ज है दुनिय में क्वे उऋण नि है सकन, आंचव में पीई दूद क
पुण्यतिथि विशेष: शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ और उनकी चयनित कुमाउनी कविताएँ कुमाउनी कवि शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ का जन्म 3 अक्टूबर,1933 को अल्मोड़ा बाजार से 2-3 किलोमीटर दूर माल गांव में हुआ था। आपके पिता का नाम बचे सिंह और माता का नाम लछिमी देवी था। जब शेरदा चार साल के
साथियों, कुमाउनी भाषा-साहित्य के अनन्य सेवक मथुरादत्त मठपाल जी का विगत 9 मई को निधन हो गया। मठपाल जी का कुमाउनी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह आलेख उन्हीं को समर्पित- दुदबोलि के उन्नायक: मथुरादत्त मठपाल कुमाउनी के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले संपादक व रचनाकार मथुरादत्त मठपाल का