कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

डॉ. दीपा कांडपाल का कुमाउनी कहानी संग्रह: चलक

डॉ. दीपा कांडपाल का कहानी संग्रह: चलक

साथियों, आज हम चर्चा करते हैं कुमाउनी कहानी संग्रह ‘चलक’ के विषय में। इस कहानी संग्रह की लेखिका हैं, डॉ. दीपा कांडपाल। आइये जानते हैं पुस्तक और लेखिका के विषय में-

कहानी संग्रह के विषय में-

चलक

       कुमाउनी कहानी संग्रह ‘चलक’ की कहानीकार हैं डॉ. दीपा कांडपाल। चलक कहानी संग्रह के पहले संस्करण का प्रकाशन वर्ष 2021 में आधारशिला प्रकाशन, हल्द्वानी से हुआ है। लेखिका ने इस पुस्तक को अपने गुरु व कहानीकार डॉ. लक्ष्मण सिंह बटरोही को समर्पित किया है। संग्रह की भूमिका डॉ. मुकुल पंत ने लिखी है। 

      चलक कहानी संग्रह में कुल आठ कहानियाँ संगृहीत हैं। ये कहानियाँ हैं- चहाकि घुटुक, सिसूणा पात, चलक, उदेख, बसुली पधान, बखतै करूँ न्याय, लछिमा, तराण। इस संग्रह की कहानियों में प्रमुख रूप से नारी समस्या को केंद्र में रखा गया है। कहानियों की भाषा सहज, सरल और ग्राह्य है। ठेठ कुमाउनी शब्दों का कहानियों में स्थान-स्थान पर प्रयोग हुआ है।कहानी संग्रह का शीर्षक ‘चलक’ रखा गया है, जिसका अर्थ होता है- भूकंप। संग्रह की शीर्षक कहानी ‘चलक’ एक पारिवारिक कहानी है। इस कहानी से कहानीकार की भाषा-शैली को दर्शाता एक उदाहरण देखिए-

       रत्तै ब्याण नाण ध्वैण छोड़ि खिमुलि इजाक हाथ-खुट सुन्न जा हैगै। अणकसै लगलगाट जौ पड़ि गै। थ्वाड़ देर आगणै भिड़ि में टेकि गे। कि करणै हुन्याल। जाण का रईं के समझ में नि ऐ।… जसि तसि दिन काटिबेर सांसौ दि बात करौ और एक घुटुक चहा पिणा लिजी चुल में आग बालणै रैछी कि च्याल ब्वारी ऐ पुज।


किताब का नाम- ‘चलक’
विधा- कहानी
लेखक- डॉ. दीपा कांडपाल
प्रकाशक- आधारशिला प्रकाशन, हल्द्वानी 
प्रकाशन वर्ष- 2021


लेखक के विषय में-

डॉ. दीपा कांडपाल

        कुमाउनी कहानीकार डॉ. दीपा कांडपाल का जन्म नैनीताल जनपद से संबद्ध लेखिका हैं। डॉ. कांडपाल हिंदी और कुमाउनी दोनों भाषाओं में लेखन करती हैं। ये कुमाउनी की एकमात्र कुमाउनी महिला कहानीकार हैं, जिनकी मौलिक पुस्तक प्रकाशित हुई है। ‘चलक’ से पूर्व उनके दो और कुमाउनी कहानी संग्रह ‘उज्याव’ और ‘अरे वाह’ (कुमाउनी बाल कथा) शीर्षक से प्रकाशित हो चुके हैं। हिंदी में इनकी कुमाउनी हिंदी लोकोक्ति और मुहावरा कोश, उत्तराखंड की दिव्य विभूति भक्ति माँ, उत्तराखंड के लोक अनुष्ठान, ऐंपण: उत्तराखंड की लोक कला, मेरे बाल गीत आदि पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। 

        डॉ. दीपा कांडपाल कुमाउनी कहानी लेखन हेतु वर्ष 2015 के बहादुर बोरा श्रीबंधु कुमाउनी कहानी पुरस्कार, बाल साहित्य लेखन हेतु बाल साहित्य सृजन सम्मान, सृजन श्री सम्मान, संपादक श्री सम्मान, कला भूषण सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान आदि सम्मानों से सम्मानित हो चुकी हैं। 

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