कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

कुमाउनी कहानी संग्रह: मसाण ( Kumauni story Collection: Masan )

कुमाउनी कहानी संग्रह: मसाण
Kumauni story Collection: Masan

साथियों, आज हम चर्चा करते हैं कुमाउनी के महत्वपूर्ण रचनाकार श्री मथुरा दत्त अंडोला जी के कुमाउनी कहानी संग्रह ‘मसाण’ के विषय में। आइये जानते हैं पुस्तक और लेखक के विषय में। 

कहानी संग्रह के विषय में-

मसाण (कुमाउनी कहानी संग्रह)

         अंडोला जी के ‘मसाण’ कुमाउनी कहानी संग्रह के पहले संस्करण का प्रकाशन 2012 में कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी (अल्मोड़ा) से हुआ। इसके लेखक साहित्यकार एम० डी० अंडोला हैं। कहानी संग्रह मसाण में कुल 15 कहानियां संगृहीत हैं। ये कहानियां क्रमश: हैं, गोपदा, जांठि, मनक मसाण, करम रोग, दोस्ती, तुम जी रया, माया जाल, रिसि जमै, लछू कुठारि, नग-ठग, चनू हौलदार, उजाड़ गों, कसि हुंछि, कैक दोष, हुशियार हैं। इस संग्रह की अधिकांश कहानियाँ पर्वतीय समाज में व्याप्त अंधविश्वासों, रूढ़ियों, मानवीय प्रवृत्तियों, सामाजिक- सांस्कृतिक स्थितियों पर केंद्रित हैं। कुमाउनी ग्रामीण समाज में एक भूत अच्छा खासा प्रभाव रहा है। इसी भूत का चित्रण करने वाली कहानियाँ हैं मनक मसाण, करम रोग, चनू हौलदार। कहानीकार ने अपनी कहानियों में स्पष्ट दर्शाया है कि भूत-प्रेत कुछ नहीं होता, बल्कि यह सिर्फ मन का भ्रम है- 

“मोहन रोडाक पैराफिट में बैठी-बैठियै सोच में पड़ि गै। सोचन-सोचनै उकैं विश्वास हैगै कि उ दिन छल-भूत के न योई गजेसिंह बिष्ट हुन भौछ। वीक मनक भैम दगड़ि भूत-मसाण ले जानै रै।”

किताब का नाम- ‘मसाण’
विधा- कहानी
लेखक- एम० डी० अंडोला
प्रकाशक- कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी (अल्मोड़ा)
प्रकाशन वर्ष- 2012

लेखक के विषय में- 

कहानीकार मथुरादत्त अंडोला

           कहानीकार एम. डी. अंडोला का जन्म 2 जनवरी, 1952 को पिथौरागढ़ जनपद के जमतोला ( गणाई गंगोली ) नामक गाँव में हुआ था। आपके पिता का नाम श्री ईश्वरी दत्त अंडोला और माता का नाम श्रीमती पार्वती देवी था। आपने अपनी प्रारंभिक परीक्षा गाँव से ही प्राप्त की और तत्पश्चात् हिंदी, संस्कृत, समाजशास्त्र विषयों से एम० ए० की परीक्षाएं पास कीं। आपने बी.एड. करने के उपरांत उत्तराखंड शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं दीं। 

     एक साहित्यकार के रूप में अंडोला जी की 5 पुस्तकें प्रकाश में आई हैं, जिनमें एक हिंदी उपन्यास, तीन कुमाउनी कविता संग्रह और एक कुमाउनी कहानी संग्रह है। इनका हिंदी उपन्यास ‘नींव का पत्थर: हरदा’ ( 1985 ) शीर्षक से, 3 कविता संग्रह ‘धर्तिन काखिन’, ‘कचुवैन’ और ‘धुपैंण’ शीर्षकों से तथा एक कहानी संग्रह ‘मसाण’ ( 2012 ) शीर्षक से प्रकाशित हुए हैं। अस्वस्थ रहने के कारण आपका कुछ वर्षों पूर्व निधन हो गया, लेकिन आपकी साहित्यिक सेवाओं का मूल्यांकन होना अभी बाकी है। 

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