उत्तराखंड में लागू हो भू कानून- कह रहें हैं युवा रचनाकार
उत्तराखंड में लागू हो भू कानून- कह रहें हैं युवा कुमाउनी रचनाकार
उत्तराखंड में भू-कानून यथाशीघ्र लागू किया जाना चाहिए, क्योंकि किसी भी क्षेत्र पर पहला हक वहाँ की जनता का है। भू-कानून लागू होने से ही यहाँ की जनता को उनका हक मिल पायेगा। ऐसा मानना है यहाँ के युवाओं का। यहाँ प्रस्तुत हैं भू कानून की मांग करती कुछ कवियों की कुमाउनी कविताएँ-
१. तुम उनार भान माजनै रै जाला
उ लगाल तुमर गाड़- भीड़ में चाहा
तुम चाइए रौला।
उ खोद जाल जेसीबी मशीनोंल
तुमार पितरों कि भूमि
तुम के नी कै सकला।
उ तुमर द् याप्तों थानों तक पूजी जाल
उ बखत तुम कैकै धत्याला।
उ तुमर बजानिक पाणी
बंद बोतल में बेचाल
और तुम तिसै रै जाला।
उ बसि जाल तुमरि
स्यार और टनव में
तुम नांतिनन कें क्या दिखाला।
उ तुमर धार जंगोवान में
होटल रिजॉर्ट बनाल
तुम उनर भान माजनै रै जाला।
– गीतम भट्ट शर्मा
२. भू कानून ल्यूंण छू
आपणि मांटी आपणि पछांण बचूंण छू।
सुन दगड़ि जसि ल हो भू कानून ल्यूंण छू।
ओ पहाड़ि कधिन तालैं चुप तू रौलै,
अब यौ तका जोर आवाज उठूंण छू।
यूं नेता ऊं सब जमीन बेच खै हैलि,
अब यूं मुखम पट्ट बुज लगूंण छू।
तुम जां ल छा सबा सब ठाड़ है जाओ।
पै देखा कसी यौ कानून लि ऊंंन छू।
-अनुपम सेमवाल ‘योगी’
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