कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

कुमाउनी कवि ताराराम आर्य के लोकप्रिय गीत

कवि ताराराम आर्य के लोकप्रिय गीत

     7 जुलाई, 1925 को ओखलकांडा (नैनीताल) के गांव सुरंग में जन्मे जनकवि ताराराम आर्य का 98 वर्ष की उम्र में हल्द्वानी में निधन हो गया। कवि ताराराम आर्य की ‘सुंदर लोकगीतों का गुच्छा’ शीर्षक से कई छोटी-छोटी लोकगीतों की पुस्तिकाएँ प्रकाशित हैं। 

    वे अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियों को उजागर करते थे। उनकी रचनाओं में स्त्री शिक्षा, विभिन्न विकास योजनाएं, नया बंदोबस्त, भारत-चीन संघर्ष, स्वराज जैसे सामयिक गीतों के साथ कई मनोरंजक व भक्तिपरक गीत जैसे साली-भीना संवाद, मां बेटे का वार्तालाप, देवी वंदना, भाई बहन का संवाद आदि शीर्षक गीत अत्यधिक पसंद किए गए।

     यहाँ श्रद्धांजलि स्वरूप प्रस्तुत हैं जनकवि ताराराम आर्य के 2 लोकप्रिय गीत-

1. खोल दे माता खोल भवानी

खोल दे माता खोल भवानी धरम केवाड़ा
धपकन निशान चड़ौंल त्यरा दरबार
द्वि जौंवा गगार चड़ोंल त्यरा दरबार
खोल दे माता खोल भवानी धरम केवाड़ा। 

संसार में त्वे देवि कै बतौनी महाना
त्यरा दरबार औनी दिए दरशना
दुखियों को दुख हरिये सब सुखी परिवारा
निर्बल निर्धनों को करिये उद्धारा

रोज पूजा पाठ करौंल दी जलौंल बाती
बल बुद्धि बिद्या दिये सबौं कें सुमति
हाथ जोड़न सर झुकौनी त्यर दरबार
खोल दे माता खोल भवानी धरम केवाड़ा। 

2. लौंडा रे सोबना

लौंडा रे सोबना भलि कै रये गौंपना, 
भलि कै रये गौंपना हो भलि कै रये गौंपना। 

ओ दीपा चुप है जा मैं शराब नै पीना
मैं शराब नै पीना हो शराब नै पीना
मैं जुवा नै खेलना हो मैं जुवा नै खेलना। 

सरयू गंगा पुल बनै पुल भौतै लामी
सार गौं में फैली रैछ तेरी बदनामी
लौंडा रे सोबना भलि कै रये गौंपना। 

काटना काटना पवी ऊंछ चौमासी को बन, 
मेरी बदनामी करनी मेरा दुशमन। 
ओ दीपा चुप है जा मैं शराब नै पीना
मैं शराब नै पीना हो शराब नै पीना
मैं जुवा नै खेलना हो मैं जुवा नै खेलना। 

खिनै की दुतारी माज पितलै की तार
त्यार भाई बाप छन बड़ा नामीदार 
लौंडा रे सोबना भलि कै रये गौंपना
भलि कै रये गौंपना हो भलि कै रये गौंपना। 

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