कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

हिंदी पढ़ो, हिंदी लिखो, हिंदी बोलो

कविता-

हिंदी पढ़ो, हिंदी लिखो, हिंदी बोलो

हिंदी पढ़ो, हिंदी लिखो, हिंदी बोलो,
अज्ञानता के पर्दे पल में धो लो। 

हिंदी हमारी माता है,
माता से बढ़कर दूजा नहीं। 
अपनी भाषा को अपना समझो,
इससे बढ़कर कोई पूजा नहीं। 
हिंदी पढ़ो, हिंदी लिखो, हिंदी बोलो,
अज्ञानता के पर्दे पल में धो लो। 

साहित्य अनौखा है इसका,
इसका अनौखा है संसार। 
इसमें लगालो तुम गोता,
हो जाओगे भव से तुम पार। 
हिंदी पढ़ो, हिंदी लिखो, हिंदी बोलो,
अज्ञानता के पर्दे पल में धो लो। 

इसमें ही सूर के हैं कान्हा,
इसमें तुलसी के राम बसें। 
इसमें मीरा की प्रीत छिपी,
इसमें रहीम के शबद हंसें। 
हिंदी पढ़ो, हिंदी लिखो, हिंदी बोलो,
अज्ञानता के पर्दे पल में धो लो। 

इसमें कबीर की वाणी है,
इसमें बिहारी का श्रृंगार। 
इसमें ही निराला का आक्रोश,
इसमें महादेवी का दुलार। 
हिंदी पढ़ो, हिंदी लिखो, हिंदी बोलो,
अज्ञानता के पर्दे पल में धो लो। 

जयशंकर की कामायनी,
यही पंत की है गुंजन। 
प्रेमचंद, निर्मल की कथा,
यही शुक्ल का है तन-मन। 
हिंदी पढ़ो, हिंदी लिखो, हिंदी बोलो,
अज्ञानता के पर्दे पल में धो लो। 

हिंदी भारत का गौरव है,
इसका सभी सम्मान करें। 
इसके सम्मान से ओ प्यारे,
भारत पर अभिमान करें। 
हिंदी पढ़ो, हिंदी लिखो, हिंदी बोलो,
अज्ञानता के पर्दे पल में धो लो।। 

   – © Dr. Pawanesh

आप सभी को विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 

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