कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

पहाड़ की नारी

पहाड़ की नारी

पहाड़ पर पग धरते-धरते

पहाड़ पर रंग भरते-भरते

पहाड़-पहाड़ करते-करते

पहाड़ की नारी

पहाड़ पर रहते-रहते

पहाड़ को सहते-सहते

पहाड़-पहाड़ कहते-कहते

पहाड़ की नारी

पहाड़ पर नमक बोते-बोते

पहाड़ पर पलक धोते-धोते

पहाड़-पहाड़ ढोते-ढोते

पहाड़ की नारी

पहाड़ पर हंसते-रोते

पहाड़ को खोते पाते

पहाड़-पहाड़ होते-होते

पहाड़ की नारी

पहाड़ हो ही गई।

 

© Dr. Pawanesh

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