गोपाल दत्त भट्ट का कविता संग्रह: धर्तिकि पीड़
Kumauni Poetry Collection: Dhartiki pid
‘धर्तिकि पीड़’ कुमाउनी कवि गोपाल दत्त भट्ट का कविता संग्रह है। आइये जानते हैं पुस्तक और रचनाकार के विषय में-
कविता संग्रह के विषय में-
धर्तिकि पीड़
कुमाउनी कवि गोपाल दत्त भट्ट के पहले कुमाउनी कविता संग्रह ‘धर्तिकि पीड़’ का प्रकाशन 1982 में साकेत प्रकाशन, गरूड़ से हुआ। इस कविता संग्रह में कुल 56 कुमाउनी कविताएँ हैं, जो 4 भागों में बंटी हुई हैं। पहले भाग में त्येरि जै हो, उड़ालौ तिरंग, हैगो उज्याव, दातुलि पयाओ, जगरिया बाज बजा, मुछ्याव आदि सहित कुल 17 कविताएँ संगृहीत हैं। इस भाग की कविताओं का प्रमुख विषय देशप्रेम व सामाजिक जागृति है।
इस कविता संग्रह के दूसरे भाग में बसंत ऋतु, ऋतु चौमासकि, पसरि गे जून, कफई चौड़, रूपसा राजुला, जसि, अणकसी छै तू आदि कुल 13 कविताएँ संगृहीत हैं। इस भाग में ऋतुओं और प्रकृति पर केंद्रित कविताएँ हैं।
इस कविता संग्रह के तीसरे भाग में पहाड़ों की धर्ति, ल्हिजै दे जवाब, लागछौ निसास, फाम, हरिया मनम मजि, जिंदगीक दिन चार आदि कुल 13 कविताएँ संगृहीत हैं। इस भाग की कविताओं में पर्वतीय नारी की वियोग वेदना का चित्रण होने के साथ-साथ कवि का जीवन दर्शन भी मुखरित हुआ है।
इस कविता संग्रह के चौथे भाग में उनरि पीड़ कें लेख, पाप छु जून हुण आज, जामवंत धैं, बखत-बखतकि बात, धर्तिकि पीड़ आदि कुल 13 कविताएँ संगृहीत हैं। इस भाग की कविताओं में आम आदमी और पहाड़ की पीड़ा व्यक्त हुई है। इस पुस्तक का मुखपृष्ठ त्रिभुवन गिरि महाराज ने बनाया है।
‘धर्तिकि पीड़’ कविता संग्रह की शीर्षक कविता आज फिर प्रासंगिक हो उठी है। इस कविता का एक अंश जो आधुनिक विकसित मनुष्य की हकीकत को बयां करने के साथ-साथ धरती माँ की पीड़ा को भी अभिव्यक्त करता है, नीचे दिया जा रहा है-
धर्तिकि पीड़ छु
दिन पर दिन उजड़न रौ हरियाली आंचव
गाड़ गध्यार सुन्न है गेईन लाट है गेईन
पर नि पगुवण रय माथि बै बादल
ढाइ हालिन उ बोट-
जनार जड़ा बटि फुटछी मैसकि इतिहासकि शीर
उ बोट कहाँ हराणा
जनार स्योव मजि जनमछी वेद पुराण
उ बोटाक फवों कें खैबेर चड़ाल
दुनियक अगास मजि लगाछी बौं
और उज्याव करि गई उ य धर्तिक नौं
अगास पर ले लेखि आइन उ
बिजुलिक आखरोंल यांकि काथ।। (पृ०96)
किताब का नाम- ‘धर्तिकि पीड़’
विधा- कविता-संग्रह
रचनाकार- गोपाल दत्त भट्ट
प्रकाशक- साकेत प्रकाशन, गरूड़
प्रकाशन वर्ष- 1982
रचनाकार के विषय में-
गोपाल दत्त भट्ट
कुमाउनी कवि गोपाल दत्त भट्ट का जन्म 6 दिसंबर फरवरी, 1940 को बागेश्वर जनपद के नौटा (गरूड़) गाँव में हुआ। आपके पिता का नाम श्री कमलापति भट्ट था। गोपाल दत्त भट्ट ने एम. ए. तक की शिक्षा ग्रहण की। तत्पश्चात् आप कई सामाजिक-राजनैतिक संगठनों से जुड़े रहे।
एक कवि के रूप में गोपाल दत्त भट्ट जी की अभी तक कुल 7 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। इनमें से 3 कविता संग्रह हिंदी में और 4 कुमाउनी में प्रकाशित हुए हैं। इनके हिंदी कविता संग्रह ‘वक्त की पुकार’, ‘गोकुल अपना गाँव रे’ और ‘आदमी के हाथ’ हैं। धर्तिकि पीड़ (1982), अगिनि आंखर (1991), फिर आल फागुण (2007) और हिटनै रवो- हिटनै रवो (2010) इनके कुमाउनी कविता संग्रह हैं।
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