कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

मोहनराम टम्टा ‘कुमाउनी’ और उनका कुमाउनी कविता संग्रह: संस्कृतिक-धरौट (Sanskritik Dharaut)

कुमाउनी कविता संग्रह: संस्कृतिक-धरौट
Kumauni Poetry Collection: Sanskritik Dharaut

कुमाउनी के वरिष्ठ कवि मोहनराम टम्टा ‘कुमाउनी’ का विगत 06 सितंबर को निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। टम्टाजी का कुमाउनी में एक कविता संग्रह प्रकाशित हुआ था। आइये जानते हैं उसी के विषय में-


कविता संग्रह के विषय में-

संस्कृतिक-धरौट

     संस्कृतिक-धरौट कुमाउनी मोहनराम टम्टा ‘कुमाउनी’ का कविता संग्रह है। इस संग्रह के पहले संस्करण का प्रकाशन 2013 में कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी, अल्मोड़ा से हुआ। इस किताब की भूमिका डॉ. प्रयाग जोशी ने लिखी है। कविता संग्रह संस्कृति विभाग के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित हुआ है। इस किताब में कुल 50 कविताएँ संगृहीत हैं। टम्टा जी ने कविताओं में पहाड़ की लोक संस्कृति व सामाजिक जीवन का अच्छा चित्रण किया है। पहाड़ के देवी-देवताओं, त्योहारों, पर्वों, प्रकृति, देश प्रेम, सामाजिक बदलाव आदि को इन्होंने अपनी कविताओं का विषय बनाया है। कविताओं में अलंकारिकता व बिंबों का प्रयोग दर्शनीय है।

        इस संग्रह से ‘नैनीतालकि जुन्यालि ब्याव’ कविता की कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं-

कांसै की काटोरि जसी, 
ढली यैकि ढाव छू। 
हरिया- भरिया डाना,
बीच गैल खाव छू। 
नैना यौ गुरूजी द्वार, 
चर्च मस्जिद ग्वाव छू। 
चम-चमा चमैकदार,
छाजी नैणताव छू। (पृष्ठ-18)


किताब का नाम- ‘संस्कृतिक-धरौट’
विधा- कविता-संग्रह
रचनाकार- मोहनराम टम्टा ‘कुमाउनी’
प्रकाशक- कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी (अल्मोड़ा)
प्रकाशन वर्ष- 2013


रचनाकार के विषय में-

कवि मोहनराम टम्टा ‘कुमाउनी’

     मोहनराम टम्टा ‘कुमाउनी’ का जन्म 19 जनवरी, 1953 बागेश्वर जनपद के खरही पट्टी के लोब गाँव में हुआ था। आपके पिता का नाम श्री किशन राम व माताजी का नाम श्रीमती लछिमा देवी था। आपने बी०एस०सी० करने के बाद बी०एड० की शिक्षा हासिल की और लगभग 6 वर्ष तक विज्ञान व गणित शिक्षक के रूप में कार्य किया। इसके पश्चात 31 वर्ष तक आपने भारतीय लेखा और आडिट विभाग में अपनी सेवाएं दीं और वरिष्ठ प्रभागीय लेखाधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए। वर्तमान में आप डहरिया, हल्द्वानी में निवासरत थे।

      मोहन ‘कुमाउनी’ कुमाउनी में कविताएँ और कहानियाँ लिखा करते थे। आपकी पहली कविता 1971 में प्रकाशित हुई थी, जो डा० भीमराव अम्बेडकर पर केंद्रित थी। आपकी रचनाएँ अल्मोड़ा व लखनऊ आकाशवाणी से भी प्रसारित होती रहती थीं। कुमाउनी में आपका एक कविता संग्रह ‘संस्कृतिक-धरौट’ (2013) प्रकाशित हुआ है। इसके अलावा आपकी रचनाएँ उड़ घुघुती उड़, गद्यांजलि, अन्वार आदि सामूहिक संकलनों में भी प्रकाशित हुई हैं। मोहन ‘कुमाउनी’ कुमाउनी भाषा की और अधिक सेवा कर पाते इससे पहले ही विगत 06 सितंबर, 2020 को उनका स्वास्थ्य खराब होने के कारण हल्द्वानी में निधन हो गया। 

      हम सभी साहित्य, संस्कृति प्रेमियों व कुमाउनी समाज की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि….. 

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