‘कोरोना’ पर कुमाउनी के 7 कवियों की कविताएँ
‘कोरोना’ पर कुमाउनी के 7 कवियों की कविताएँ
1. सबूंल घर में रून छ
कोरोनावायरस हरून छ
सब लोगों ले घर में रून छ
साफ सफाई को राख् ध्यान
घर में करो पुज पाठ ध्यान
कौतिक म्याला कुछ दिन बंद छन
अनुशासन और धैर्ज ले कोरोनावायरस हरूंल
अघिल कै त्यार बार मनूल
पैंली हमार पुर्खा हैजा प्लेग में
जंगलों में महैनो तक रूंथ्या
हमन ले यो कठिन बखत काटन छ
कुछ दिन घरै में रून छ
चीन है आइ शैतान कोरोनावायरस हरूंन छ।
– दिनेश भट्ट, सोर पिथौरागढ़।
2. कोरोना एक बला छ
कोरोना मजाक नै
एक बला छ।
सबौं खिन
योई सलाह छ।
कय मान
उपाय कर।
येकि दवाई नहौन
बचाव कर।
यो बिषाणु साक्षात
जैविक बम छ।
टैम में जाग
बक्त कम छ।
कुछ लोग ये खिन
मजाक मानन्यौन।
और कुछ ये देखि
थर थर कामन्यौन।
मजाक छोड़
उपाय कर।
डरनुं छोड़
बचाव कर।
-प्रकाश चंद्र जोशी ‘शूल’, चंपावत।
3. करोना रनकर
इक्ट्ठ झन होया एक दिगाड़।
बात करन में द्वि मीटर टाड़।
हाइ, हैलो, हैंडसेक लै छ्वड़ैै।
नमस्कार कौ और हाथ ज्वड़ै।
सब अपनाला य उपाय अगर।
कांबै आल फिरि करोना रनकर।
सफाई करौ, झाड़ू प्वछ लगौ।
हाथ खुट ध्ववौ सब मैल बगौ।
लौक डाउन छ अघिल कुछ दिन।
दोस्ती, रिश्तेदारी, बिरादरी बिन।
भली कौ रौ आफन घर भितर।
कांबै आल फिर करोना रनकर।
बिन कामै क्वे लै भ्यार नें जौ।
बिन कामै कैका भितर नें औ।
फोन में बात और कुशल मंगल।
आज लैक डाउन भोव मिलुन बल।
कुछ दिन जो जां छा वांइ समझै घर।
कांबै आल फिर करोना रनकर।
सब मानिया सरकारै बात।
तमैरि थैं लागिरै उ दिन रात।
घबराया झन बला जल्दी टलैलि।
करोना जीतै आबै बयार चलैलि।
बतायाक उपाय करौ घर घर।
कांबै आल फिर करोना रनकर।
– संजय जोशी, अल्मोड़ा
4. डाक्टरों कि बात सुनो
भाग्य क भरौस पर
तमगा नि मिलन
पुज-पाठ भजन हवन ल
मैदान नि जितिन,
पसिण बगूण पड़ूं
जुगत लगूण पणी,
कभतै हिटि माठु माठ
कभतै दौड़ लगूण पणी ।
कोरोना देखि नि डरो
गंड -टोटकों है दूर रौ
डाक्टरों कि बात सुनो
हाथ धुण नि भुलो
भीड़ में नि घुसो
खासै काम पर भ्यार जौ
सरकारक सहयोग करो
कोरोना देखि नि डरो ।
पढ़ीलेखी हाय
पढ़ी लेखियां जस
काम नि करें राय ,
गिचम दै क्यलै जमैं थौ
आपू हैं नि पूछैं राय,
मरि-झुकुड़ि बेर कुण नि बैठो
ज्यौना चार कभें त जुझो,
क्यलै मरि मेरि तड़फ
क्यलै है रयूं चुप
कभैं आपूहैं पुछो ?
-पूरन चन्द्र काण्डपाल, दिल्ली
5. भाज कोरोना
ओ कोरोना ,हाय कोरोना
तू जा कौ, जा कौ, जा कौ
तदु ट्यडयाट नि दिखा ,
जाँ बटि आछै वैं भाजि जा
भाजि जा कौ कोरोना भाजि जा..।।
त्यौर डिमाग के खराब भौ
जो तु याँ हुणि लागै बाट,
जो तु नि जालै याँ बै आब
डॉक्टर तोड़ाल त्यार हाँटभाँट
भाजि जा कौ कोरोना भाजि जा…..।।
त्यौर कपाव बकौल फुलि जो
तु कभै झन पनपिये,
हमार दयाप्त चाला तू जल्दी
गध्यारन पन च्यापि जाये
भाजि जा कौ कोरोना भाजि जा….।।
तू कुड़बुद्धि किहुँ लागै बाट
तुकें किलै नि पड़ स्वाट,
आब एइ गोछै देखि ल्हियून
त्यार मजि करि दियून ट्वाट।
भाजि जा कौ कोरोना भाजि जा….।।
भाज कोरोना ,भाज याँ बै
त्वीकें सद्बुद्धि ए जाओ,
हमि तो सावधानी बरतण रयाँ
त्वीकें लै अकल जल्दी आओ।
भाजि जा कौ कोरोन भाजि जा….।।
जब भैरै नि जून हाथ नि मिलूँ
मुख ढकि ढाकि ऑफिस जून
तू के त्यौर बौज्यू लै के बिगाडौल
त्यौर राम राम सत्य तो हमि करुंन।।
भाजि जा कौ कोरोना भाजि जा….।।
– सोनू उप्रेती “साँची”, अल्मोड़ा।
6. कोरोना ऐगो चाइना बटि
कोरोना ऐगो चाइना बटि
दुनियां डरै राखो चाइना बटि
देश में सरणो य फटा फटि
कोरोना ऐगो चाइना बटि
घर भतेर गोठी रओ
भ्यार मेंसु बटि दुरे रओ
बचि रौला दुब जस फलला
दुवा सलाम सब धूंगर बटि
कोरोना ऐगो चाइना बटि
रक्त बीज जस फलनो य कोरोना
हैलो, हाय, बायबाय कें बाय कै दिया
आपण सुरक्षा आपण सावधानी बरतिया
राम राम नमस्ते कै दिया दूरे बटि
कोरोना ऐगो चाइना बटि।।
-भास्कर जोशी, हल्द्वानी।
7. फैली रौ आजकल कोरोना
फैली रौ हो आजकल कोरोना, यै दिंबे आब डरोना।
आपण बचाव जरूरी छन, तब कोरोना हैबे दूरी छन।
हाथ बार बार धोउंण चैनीं,
घर बै आब काम निपटुण चैंनी।
जरूरी काम हो तब जाण चैछ,
होटल रेस्टोरेन्ट बे दूरी बनूंण चैंछ।
हाथ मिलाण हैबे बचूंण चैंछ,
भीड़ में कुछ दूरी बणूंण चैंछ।
अफवाह क्वें लैं कभैं फैलोना।
आपण मन में क्वें लैं भ्रम धरोना।……
फैली रौ हो आजकल कोरोना, यै दिंबे आब डरोना।
आपण बचाव जरूरी छन, तब कोरोना हैबे दूरी छन।
भीड़ भाड़ नैं बणूंण चैंछ,
जागरूकता आब फैलूंण चैंछ।
सबूंकैं संयमता बरतण चैंछ,
मानवता सबूंकैं दिखूंण चैंछ।
जीवन सबूंक यौ अनमोल छन,
जन हानि कथैं क्वें लैं हो ना।
फैली रौ हो आजकल कोरोना, यै दिंबे आब डरोना।
आपण बचाव जरूरी छन, तब कोरोना हैबे दूरी छन।
मुश्किल बखत में देश कैं,
आब सबूंकैं साथ दिंण चैंछ।
जागरूक नागरिक बणीं बे,
यौ कोरोना हैबे बचंण चैछ।
दुवा दवा सब काम ऐजाल,
भारत हामौर फिर खुशहाल हैजाल।
स्वच्छ स्वस्थ हैबे सब करो सामना,
जागरूक रौं क्वें लै घबराओ ना ।
फैली रौ हो आजकल कोरोना, यै दिंबे आब डरोना।
आपण बचाव जरूरी छन, तब कोरोना हैबे दूरी छन।
-भुवन बिष्ट, रानीखेत अल्मोड़ा
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