कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

कुमाउनी कहानी संग्रह: तीन थूंण (Kumauni story Collection: Teen Thun)

कुमाउनी कहानी संग्रह: तीन थूंण
Kumauni story Collection: Teen Thun

      क्या आप कुमाउनी की प्रारंभिक कहानी पुस्तकों के विषय में जानते हैं ? आइये आज हम चर्चा करते हैं कुमाउनी के प्रारंभिक कहानी संग्रह ‘तीन थूंण’ के विषय में। ‘तीन थूंण’ कहानी संग्रह के लेखक हैं- डॉ. योगेंद्र प्रसाद जोशी ‘नवल’। आइये जानते हैं पुस्तक और लेखक के विषय में। 

कहानी संग्रह के विषय में-

तीन थूंण
(कुमाउनी कहानी संग्रह)

           ‘तीन थूंण’ कहानी संग्रह के पहले संस्करण का प्रकाशन 2005 में अविचल प्रकाशन, बिजनौर से हुआ। इसके लेखक साहित्यकार योगेन्द्र प्रसाद जोशी ‘नवल’ हैं। इस कहानी संग्रह में नवल जी की कुल 10 कहानियां संगृहीत हैं। ये कहानियाँ क्रमशः हरज्यू थानकि पंचबइ, इजा चिट्ठी दीते रये, रिवाड़, बांज गड़, बिरूठा, तीन थूंण, बड़्याठ, कै देइ में जौंल, दुदक मोल और चिट्ठी कारगिल बटी हैं। कहानी की भूमिका डॉ० राम सिंह ( पिथौरागढ़ ) ने लिखी है।

           कहानीकार ‘नवल’ के इस संग्रह की कहानियों में पर्वतीय समाज में व्याप्त अंधविश्वास, धार्मिक रूढ़ियों, कुप्रथाओं आदि का चित्रण तो हुआ ही है, साथ ही कुमाऊँ के ग्रामीण समाज में आये सामाजिक-सांस्कृतिक बदलावों और मूल्यों का भी चित्रण हुआ है। नवल की भाषा-शैली को दर्शाता अंधविश्वास पर केंद्रित ‘तीन थूंण’ कहानी का एक अंश देखिए-

शिवदत्तिलि द्वी-बात जगैबेर कय- ‘परमेश्वर! बोल बचन किहूं नि हुणाय, जिले गलती हैरै माफ करिया। हमि तेरि शरण में छां। अपराध माफ करि दिये।”

“नई भूत! नई भूत….।” बस इतुकै कैबेर उ चुप है गोइ। हरिदत्तलि ए फांक छार फिरि डङरिया ख्वर ले लगै देय। ( पृ० 57 )


किताब का नाम- ‘तीन थूंण’
विधा- कहानी
लेखक- डॉ.योगेंद्र प्रसाद जोशी ‘नवल’
प्रकाशक- अविचल प्रकाशन, बिजनौर
प्रकाशन वर्ष- 2005


लेखक के विषय में-

डॉ.योगेंद्र प्रसाद जोशी ‘नवल’

        कुमाउनी कहानीकार डॉ.योगेंद्र प्रसाद जोशी ‘नवल’ का जन्म 4 फरवरी 1967 को बागेश्वर जिले के देवल विछराल ( कांडा ) गाँव में हुआ। आपके पिता श्री गिरीश चंद्र जोशी ज्योतिष के ज्ञानी होने के कारण शास्त्री जी नाम से प्रसिद्ध हैं। माता श्रीमती तारा जोशी का देहांत इनकी बाल्यावस्था में ही हो जाने के कारण मौसी निर्मला जोशी से इनके पिता का पुनर्विवाह हुआ। इन्होंने ही इनका पालन-पोषण किया। आपने राजकीय पालीटेक्निक द्वाराहाट, अल्मोड़ा से फार्मेसी में डिप्लोमा हासिल किया और चिकित्सा विभाग में अपनी सेवाएं दीं। बाद में आपने कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल से संस्कृत विषय में पीएचडी की उपाधि हासिल की। 

         डॉ० योगेन्द्र प्रसाद जोशी के कुमाउनी में दो कहानी संग्रह ‘तीन थूंण’ ( 2005 ) और ‘भिटोइ’ ( 2013 ) प्रकाशित हुए हैं। इन तीन मौलिक कृतियों के अलावा उन्होंने श्रीमद्भागवतगीता, मेघदूत और सत्यनारायण व्रतकथा पुस्तकों का कुमाउनी अनुवाद भी किया है। कुमाउनी कहानी में योगदान हेतु आपको बहादुर बोरा श्रीबंधु कुमाउनी कहानी पुरस्कार-2012, उत्तराखंड शोध संस्थान का साहित्य सम्मान आदि सम्मानों से नवाजा गया है। 

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