पिथौरागढ़ के भुरमुनी गाँव की हिलजात्रा के दृश्य आजकल पिथौरागढ़ में लोकोत्सव ‘हिलजात्रा’ की धूम मची हुई है। देखिए जनपद के भुरमुनी गाँव में हुई हिलजात्रा की कुछ तस्वीरें- तस्वीरें साभार- Lalit Dhanik, City Pithoragarh Share this post
प्रोजेक्ट कायाकल्प: भाग 2, रंगाई-पुताई- मुस्कुराती दीवारें प्रोजेक्ट कायाकल्प के पहले भाग ‘इमारतें जिंदा होंगी’ को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के बाद रा० इ० का० नाई (अल्मोड़ा) के विद्यालय प्रबंधन के समक्ष लक्ष्य था विद्यालय की दीवारों को रंगने का। इसीलिए प्रोजेक्ट के इस दूसरे भाग को नाम दिया गया- मुस्कुराती दीवारें।
प्रोजेक्ट कायाकल्प: भाग- 1, लघु मरम्मत- इमारतें जिंदा होंगी रा० इ० का० नाई (अल्मोड़ा) में विद्यालय के समस्त शिक्षकों ने प्रधानाचार्य अनिल कुमार कठेरिया जी के साथ एक मीटिंग के दौरान यह निर्णय लिया कि विद्यालय को एक खूबसूरत स्वरूप प्रदान किया जाय। इस हेतु विद्यालय के सीमित व उपलब्ध आर्थिक
पिथौरागढ़ की विशिष्ट लोक नाट्य परंपरा: हिलजात्रा पिथौरागढ़ जनपद के सोर घाटी में लगभग 400 सालों से हिलजात्रा लोक उत्सव की परंपरा चली आ रही है। वर्षा ऋतु के आगमन पर स्थानीय निवासियों के द्वारा सामूहिक रूप से इसका आयोजन किया जाता है। हिलजात्रा कृषि से जुड़ा लोकोत्सव है, जिसमें स्थानीय
पिथौरागढ़ का सातूं-आठूं लोकपर्व पिथौरागढ़। सीमांत जनपद में सातूं-आठूं महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। सातूं-आठूं भगवान शिव और पार्वती (गौरा- महेश्वर) को बेटी और जमाई के रूप में विवाह बंधन में बांधने का पर्व है। इस पर्व के दौरान गौरा और महेश के विवाह की रस्में निभाई जाती हैं और बेटी व
जयशंकर प्रसाद की कहानियों के नारी चरित्रों का सामाजिक- सांस्कृतिक अध्ययन (हिंदी शोध समालोचना संग्रह, 2014) Jayshankar Prasad ki kahaniyon ke nari charitron ka samajik- saanskritik adhyayan वर्ष 2014 में अविचल प्रकाशन, बिजनौर से प्रकाशित डॉ. पवनेश ठकुराठी की इस शोधपरक पुस्तक में मुंशी प्रेमचंद के समकालीन
कविता व गीत संग्रह- शिक्षक चालीसा ( Poetry and Song Collection- Shikshak Chalisa ) साल 2013 में अल्मोड़ा किताब घर से प्रकाशित पवनेश ठकुराठी के इस हिंदी कविता संग्रह में कुल 11 रचनाएँ संगृहीत हैं। इस पुस्तिका में कुल 02 शिक्षक वंदनाएं, 5 शिक्षक गीत व 01 शिक्षक चालीसा संगृहीत है। शिक्षक चालीसा
कविता संग्रह – नदी एक डायन थी ( Poetry Collection-Nadi Ek Dayan Thi ) साल 2013 में अल्मोड़ा किताब घर से प्रकाशित पवनेश ठकुराठी के इस हिंदी कविता संग्रह में कुल 47 कविताएँ संगृहीत हैं। ये कविताएँ 16,17 जून, 2013 को उत्तराखंड में आई भीषण प्राकृतिक आपदाओं पर केंद्रित हैं। ये कविताएँ प्रकृति
कविता संग्रह – दो पेज की चिट्ठी में ( Poetry Collection- Do Page Ki Chiththi mai ) साल 2013 में अल्मोड़ा किताब घर से प्रकाशित पवनेश ठकुराठी के इस हिंदी कविता संग्रह में कुल 56 कविताएँ संगृहीत हैं। ये कविताएँ युवा मन की कविताएँ हैं, जो अपने समाज की विडंबनाओं को उजागर करने
पूरनचंद्र कांडपाल की कुमाउनी कविताएँ 1. इज है ठुल को ? न सरग न पताव न तीरथ न धाम, इज है ठुल क्वे और न्हैति मुकाम। आपूं स्येतीं गिल म हमूकैं स्येवैं वबाण, हमार ऐरामा लिजी वीक ऐराम हराण। इज क कर्ज है दुनिय में क्वे उऋण नि है सकन, आंचव में पीई दूद क