कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

दोस्ती

दोस्ती

गर्मियों के दिन थे, गाँव के बच्चों ने नदी में नहाने की योजना बनाई। रविवार को सभी बच्चे नदी की ओर चल दिए। जब सभी बच्चे नदी में नहा रहे थे, ठीक उसी समय मोहन का पैर फिसल गया और वह बहाव में बहने लगा। मोहन को बहते देख राकेश ने उस ओर छलांग लगा दी। वह तैरता हुआ गया और मोहन को सुरक्षित बाहर निकाल लाया।

जब मोहन ने देखा कि राकेश ने उसकी जान बचाई तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने राकेश से पूछा- “मैंने गृहकार्य न करने पर आकाश सर से तुम्हें मार खिलाई, लेकिन फिर भी तुमने मेरी जान बचाई। ऐसा क्यों ?”

राकेश ने कहा- “मित्र ! छोटे-मोटे विवादों का दोस्ती पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए और फिर उस दिन तो मेरी ही गलती थी। मैं गृहकार्य करके नहीं लाया था। तुम्हारी जान बचाकर मैंने अपनी दोस्ती का फर्ज अदा किया है और आगे भी करता रहूंगा।”

मोहन के नयनों से कृतज्ञता के आंसू टप-टप टपकने लगे।

© Dr. Pawanesh

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