कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

रतन सिंह किरमोलिया का बाल कहानी संग्रह: आमाक पहरू

रतन सिंह किरमोलिया का बाल कहानी संग्रह: आमाक पहरू

साथियों, आज हम चर्चा करते हैं कुमाउनी कहानी संग्रह ‘आमाक पहरू’ के विषय में। इस कहानी संग्रह के लेखक हैं- साहित्यकार रतन सिंह किरमोलिया। आइये जानते हैं पुस्तक और लेखक के विषय में-

कहानी संग्रह के विषय में-

आमाक पहरू

    ‘आमाक पहरू’ लेखक रतन सिंह किरमोलिया द्वारा लिखित बाल कहानी संग्रह है। इस कहानी संग्रह का प्रकाशन जुलाई, 2013 में कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी, अल्मोड़ा से हुआ है। इस कहानी संग्रह में कुल 8 बाल कहानियाँ संगृहीत हैं। ये कहानियाँ क्रमशः अकलै कमै, आब के मौ हैं ?, झगड़, आमाक पहरू, भैंस लै ल्यायै पैंस लै, नग-ठग, डबलोंक गांठ, आंख खुलि ग्याय हैं। कहानियां लिखते समय किरमोलिया जी ने बाल मनोविज्ञान का बखूबी ध्यान रखा है। ये कहानियाँ बच्चों के लिए अत्यंत पठनीय, शिक्षाप्रद व रूचिकर हैं। शीर्षक कहानी ‘आमाक पहरू’ एक ग्रामीण आमा की चतुराई को दर्शाती है। आमा को जब घर में चोरों के आने का अंदेशा होता है तो वह जोर-जोर से सङउवा, मङउवा, किरथुवा, पिनगटुवा कल्पित नामों को पुकारती है और उनसे चोरों को मारने के लिए कहती है, जिससे चोर इनको आमा के पहरू समझते हैं और भाग जाते हैं-

       वैल जोरलि धताधात करि दी- अरे सङउवा, मङउवा, किरथुवा, पिनगटुवा उठो रे ठाड़ उठो। भ्यैर चोर ऐगीं। उठो जल्दी करो। तौ बड़्याठ, लट्ठ, कुल्याड़, घुङर्याव, दाथुल जे मिलौं जल्दी- ल्ह्याओ। मी द्वार खोलनू। तुम पड़ापड़ि ठोको तौं चोरोंकि ख्वारनि। (पृ०22)


किताब का नाम- ‘आमाक पहरू
विधा- कहानी
लेखक- रतनसिंह किरमोलिया
प्रकाशक- कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी, अल्मोड़ा
प्रकाशन वर्ष- 2013


लेखक के विषय में-

रतन सिंह किरमोलिया

         शिक्षक व लेखक रतन सिंह किरमोलिया का जन्म 15 फरवरी, 1951 को गरूड़ (बागेश्वर) के अणां गाँव में हुआ। इनके पिता का नाम श्री चंद्र सिंह किरमोलिया व माता का नाम श्रीमती खिमुली देवी था। किरमोलिया जी ने हिंदी से एम. ए. उत्तीर्ण किया। आपने शिक्षण व्यवसाय को आजीविका का साधन बनाया। आपकी सहधर्मिणी का नाम श्रीमती जगदंबा किरमोलिया है। आप राजकीय इंटर कॉलेज अल्मोड़ा से प्रवक्ता हिंदी के पद से सेवानिवृत्त हुए। 

        किरमोलिया जी हिंदी व कुमाउनी में लेखन करते हैं। आपके कुमाउनी में कणिक (काव्य संग्रह), नरै (काव्य), पुतई दीदी (बाल कविता संग्रह), आमाक पहरू (बाल कहानी संग्रह) और आपण- आपण रत्थ (दोहा संग्रह) पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आपने बुरूंश, बाल प्रहरी, कुमगढ़ पत्रिकाओं के संपादन में भी सहयोग किया है। आप बाल साहित्य शोध एवं संवर्धन समिति, द्वाराहाट के अध्यक्ष हैं और वर्तमान में हल्द्वानी में निवासरत हैं। 

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