मानसखंड: कुमाऊँ के इतिहास की महत्वपूर्ण पुस्तक
कुमाऊँ के इतिहास, समाज और संस्कृति को जानने के लिए हेमा उनियाल द्वारा लिखित ‘मानसखंड’ एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। आइये जानते हैं पुस्तक के विषय में-
पुस्तक परिचय-
मानसखंड
मध्य हिमालय उत्तराखंड दो मंडलों कुमाऊँ एवं गढ़वाल में विभक्त है, जिसके अंतर्गत 13 जनपद शामिल हैं। प्राचीन साहित्य में कुमाऊँ को कूर्मांचल, मानसखंड के नामों से भी जाना गया है। मुख्य रूप से कोसी, सरयू, काली, रामगंगा (पूर्वी), गोरी, लोहावती आदि नदियों के प्रवाह वाला यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही संत-महात्माओं के तपश्चर्य व सिद्ध भूमि के रूप में विख्यात रहा है।प्राकृतिक समृद्धता के साथ ही संस्कृति, इतिहास, अन्वेषण, मूर्तिशिल्प, मंदिर संरचना व तीर्थाटन-पर्यटन की दृष्टि से यह क्षेत्र अत्यंत महत्वशाली है। लेखिका ने इस रहस्यमय लोक का अधिकतम भ्रमण-अन्वेषण कर अनेक यात्रावृत्तान्तों, जानकारियों, अनुभवों व छायाचित्रों के माध्यम से प्रस्तुत कर “मानसखंड” एक मौलिक, शोधपरक, चिंतनशील, उद्देश्यपरक साहित्य के रूप में समाज के सम्मुख रखा है। पुस्तक का नाम यद्द्यपि पुरातन साहित्य से लिया गया है किन्तु शोध कार्य महत्वपूर्ण एवं मौलिक है। इस क्षेत्र विशेष पर लिखी गई कई महत्वपूर्ण पुस्तकों के प्रमुख तथ्यों का भी संदर्भ सहित “मानसखंड” में समावेश एवं उल्लेख किया गया है।पुस्तक “मानसखंड” लेखिका के महत्तम प्रयासों से निर्मित समाज को प्रदत्त एक अनुपम एवं उत्कृष्ट भेंट है।
पुस्तक : मानसखंड
लेखिका: हेमा उनियाल
पृष्ठ : 512 (हार्ड बाउंड 20×30)
प्रकाशन वर्ष: 2014
फोटॉग्राफस: 367, श्याम-श्वेत,रंगीन पेज-12
मूल्य :1,100 Rs
लेखिका परिचय-
डॉ. हेमा उनियाल
जन्मस्थान : नैनीताल (उत्तराखंड)
शिक्षा: एम. ए.अर्थशास्त्र (सन1984), कुमाऊँ यूनिवर्सिटी नैनीताल।
संगीत विशारद: भातखंडे संगीत विद्यापीठ लखनऊ(उ प्र)
साहित्यकार,रचनाकार,समीक्षक,डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म निर्माण,निर्देशन तथा विविध पत्र- पत्रिकाओं/स्मारिकाओं में स्वतंत्र रूप से लेखन।
महत्वपूर्ण पुस्तकें-
(1) कुमाऊँ के प्रसिद्ध मंदिर (प्रकाशन वर्ष, सन 2005)- वर्तमान में यह पुस्तक आउट ऑफ प्रिंट है।इसके स्थान पर विस्तृत रूप में ‘मानसखंड’ पुस्तक आ गई है।)
(2) केदारखंड (धर्म,संस्कृति,वास्तुशिल्प एवं पर्यटन- प्रकाशन वर्ष, 2011,2016)
(3) मानसखंड ( धर्म, संस्कृति, वास्तुशिल्प एवं पर्यटन-प्रकाशन वर्ष, 2014 )
(4) जौनसार-बावर, रवांई-जौनपुर (प्रकाशन वर्ष, 2018)
कुमाऊं की सांस्कृतिक यात्रा, कुमाऊँ के प्रसिद्ध मंदिर,जौहार के शौका आदि पर डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म निर्माण एवं निर्देशन ।
मौलिक एवं शोधपूर्ण लेखन हेतु लगभग 17 सालों से उत्तराखंड राज्य का व्यापक रूप से भ्रमण, अन्वेषण, शोधकार्य। लगभग 300 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों, ऐतिहासिक स्थलों की स्वयं यात्रा कर लेखन, फोटोग्राफ्स का वृहद रूप से संकलन कर ऐतिहासिक रूप से संजोने का कार्य। यह कार्य स्वतंत्र रूप से किया गया।
सम्मान –
1. ‘कुमाऊँ के प्रसिद्द मंदिर’ पुस्तक के लिए हिन्दी अकादमी,दिल्ली सरकार द्वारा ‘साहित्यिक कृति सम्मान’ (2005-2006)
2. विश्व हिंदी साहित्य संस्थान,इलाहाबाद द्वारा कविताओं के लिए ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’ (फरवरी 2006) तथा ‘विद्या वाचस्पति सम्मान’ ( मानद डॉक्टरेट, फरवरी 2013)
3. हिलांस अवार्ड 2013, गुसाईं स्मृति दशक समिति, मुम्बई द्वारा।
4. DPMI, दिल्ली द्वारा ‘गौरा देवी सम्मान’ (8 मार्च, 2016)
5. शैल सवेरा, दिल्ली द्वारा ‘Daughter of uttrakhand’ (वर्ष 2019)
6. चंद्र कुँवर बर्त्वाल स्मृति मंच,दिल्ली द्वारा ‘चंद्र कुँवर बर्त्वाल साहित्य सेवाश्री सम्मान’ (वर्ष 2020)
7. हिंदी अकादमी सहित अन्य कई संस्था, संस्थानों द्वारा सम्मानित।
( पुस्तकों की प्राप्ति इस नंबर पर भेजे संदेश/काल द्वारा संभव है- 09910094356 )
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