कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

तुम्हारे प्रेम में

तुम्हारे प्रेम में

समुद्र में जैसे उठती है लहर

वैसे ही मेरे मन में

तुम्हारे लिए

उठती है चाह।

पल-पल प्रतिपल

तुम तक पहुंचने की

इस चौराहे से निकलती हैं

कई राह।

तुम्हारी अनुपस्थिति में गूंजती हैं

अनवरत सिसकियां

अनगिनत आह।

 

© Dr.  Pawanesh

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