कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

डॉ. पवनेश ठकुराठी का कुमाउनी कहानी संग्रह: म्यर गों डाॅट काॅम

म्यर गों डाॅट काॅम (कुमाउनी कहानी संग्रह, 2015)

        डॉ. पवनेश के ‘म्यर गों डाॅट काॅम’ कुमाउनी कहानी संग्रह का प्रकाशन सृजन से.. प्रकाशन, गाजियाबाद से वर्ष 2015 में हुआ। डॉ. पवनेश के इस कहानी संग्रह में कुल 10 कहानियाँ संगृहीत हैं। ये कहानियाँ क्रमशः छ्योड़ि पगली गै, आमा, प्यौलि और बुरांश, ह्यूंखोर, राजुला-मालूशाही, मुबाइल, एक और कफन, कौतिक, छपेलि किंग उर्फ दिवानी राम, म्यर गों डाॅट काॅम हैं। इस कहानी संग्रह में कुमाउनी में लिखी जा रही परंपरागत कहानियों से भिन्न कहानियाँ संगृहीत हैं।

      कहानीकार ने परंपरागत विषयों से इतर नवीन कथ्य और शिल्प की कहानियाँ लिखी हैं। संग्रह में संगृहीत ‘प्यौलि और बुरांश’ लेखक की पहली कुमाउनी कहानी है, जो ‘पहरू’ के युवा विशेषांक (जनवरी, 2015 अंक) में प्रकाशित हुई थी। युवा प्रेम पर केंद्रित इस कहानी को पाठकों ने अत्यधिक पसंद किया।

      संग्रह की शीर्षक कहानी ‘म्यर गों डाॅट काॅम’ का विषय देश प्रेम है। इस कहानी का नायक राजेंद्र सिंह एक वेबसाइट की कहानी से प्रेरित होकर समस्याओं से जूझ रहे अपने गाँव आता है और वहाँ की दशा-दिशा को बदलता है। यह कहानी पहरू द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता में पुरस्कृत भी हुई है। ‘प्यौलि और बुरांश’ कहानी के नायक-नायिका के बीच का एक रोचक संवाद दृष्टव्य है-

वील बौं कानक नजिक ऐसे कौ- “किलैकि तुमुल चालाकील म्यर उ चोरि राखौ।”
मैंल नासमझ बनते हुए कौ- “कि?”
“उ”
“उ कि ?”
“उ”
“उ कि पैं ?”
“शरम ऊणैं बतून में।”
“उ करन में त नै उनि शरम”
“कि करन ?”
“मैसेज, और कि !”
“धत्त” इतुक कैबेर उ आपण डोक्को पीठि में लगैबेर दुहरि तरफ भाजि गै।


किताब का नाम- म्यर गों डाॅट काॅम
विधा- कहानी संग्रह
रचनाकार- पवनेश ठकुराठी
प्रकाशक- सृजन से, गाजियाबाद। 
प्रकाशन वर्ष- 2015
मूल्य- 100 ₹

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