कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

कुमाउनी रचनाकार त्रिलोक सिंह सतवाल को मिलेगा प्रथम के. एन. जोशी स्मृति अनुवाद लेखन पुरस्कार-2020 

कुमाउनी रचनाकार त्रिलोक सिंह सतवाल को मिलेगा प्रथम के. एन. जोशी स्मृति अनुवाद लेखन पुरस्कार– 2020 

     अल्मोड़ा। कुमाउनी भाषा व साहित्य के उन्नयन के लिए प्रयासरत संस्था ‘कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति कसारदेवी, अल्मोड़ा‘ द्वारा ‘के0 एन0 जोशी स्मृति अनुवाद लेखन पुरस्कार 2020’ की घोषणा की गई। संस्था के सचिव व ‘पहरू’ कुमाउनी मासिक पत्रिका के संपादक डाॅ. हयात सिंह रावत द्वारा बताया गया कि कुमाउनी भाषा में अनुवाद लेखन को बढ़ावा देने के लिए यह पुरस्कार इसी वर्ष से प्रदान किया जा रहा है। 

अनुवादक त्रिलोक सिंह सतवाल

       इस वर्ष यह पुरस्कार कुमाउनी रचनाकार अल्मोड़ा के ढौरा गांव निवासी त्रिलोक सिंह सतवाल को उनके द्वारा अनुवादित कृति ‘गीतांजलि’ के लिए प्रदान किया जाएगा। ज्ञातव्य है कि ‘गीतांजलि’ बांग्ला भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार रवींद्रनाथ टैगोर की नोबेल पुरस्कार से पुरस्कृत कालजयी काव्य कृति है। इसी कृति का कुमाउनी भावानुवाद सतवाल जी ने किया है। इस पुरस्कार के चयन हेतु संस्था द्वारा एक समिति गठित की गई थी। इस चयन समिति में महंत त्रिभुवन गिरि, श्याम सिंह कुटौला और जगदीश जोशी शामिल थे। समिति द्वारा सर्वसम्मति से त्रिलोक सिंह सतवाल की अनुवादित कृति को पुरस्कार हेतु चुना गया। 

         संस्था सचिव रावत जी ने साहित्यकार मोहन जोशी (गरूड़) का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि कुमाउनी भाषा में अनुवाद लेखन के इस पुरस्कार हेतु आर्थिक सहायता उन्हीं के द्वारा प्रदान की जा रही है। श्री त्रिलोक सिंह सतवाल को यह पुरस्कार माह दिसंबर, 2020 में आयोजित होने वाले कुमाउनी भाषा सम्मेलन में प्रदान किया जायेगा। 

        उन्होंने बताया कि श्री त्रिलोक सिंह सतवाल की ‘गीतांजलि’ के अतिरिक्त एक अन्य पुस्तक ’फूलदेई गीतिका‘ भी प्रकाशित हुई है। उनकी कुमाउनी में कविता, लेख, अनुवाद आदि रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। उनकी रचनाओं में कुमाउनी जन-जीवन और संस्कृति के दर्शन होते हैं। उनकी अनुवादित कृति ‘गीतांजलि’ में ‘सब अहंकार म्यर‘ से लेकर ‘सौरभ‘ तक कुल 141 गीत शामिल हैं। सभी गीत आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार कराते हैं। 

पुरस्कृत पुस्तक का मुखपृष्ठ

विशेष आपके लिए

     यदि आपने भी लिखी है कुमाउनी में कोई अनूदित पुस्तक और यदि आप भी चाहते हैं कि अनुवाद लेखन के इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से आपकी कृति को भी सम्मानित किया जाय, तो अगले वर्ष के पुरस्कार हेतु आप अपनी पुस्तक नीचे दिए पते पर भेज सकते हैं। ध्यान रहे पुस्तक कुमाउनी भाषा में अनुदित होनी चाहिए-

संपादक- ‘पहरू’
इंद्र सदन
सुनारी नौला, अल्मोड़ा, उत्तराखंड- 263601

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