कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

अनुवाद लेखन से होगा कुमाउनी साहित्य का विकास- मोहन चंद्र जोशी

अनुवाद लेखन से होगा कुमाउनी साहित्य का विकास

*12 वां तीन दिवसीय राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन हुआ शुरू। 
* स्थान- पं० जी० बी० पंत राजकीय संग्रहालय, अल्मोड़ा। 

मंचासीन साहित्यकार/अतिथि

       कुमाउनी में अनुवाद का कार्य व्यापक स्तर पर हो रहा है। अन्य भाषाओं के श्रेष्ठ साहित्य का कुमाउनी में अनुवाद करने से कुमाउनी साहित्य का विकास होगा। ये बातें 12वें राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन के पहले दिन के अवसर पर गरूड़ (बागेश्वर) से पधारे शिक्षक व कुमाउनी साहित्यकार मोहन चंद्र जोशी ने बतौर मुख्य वक्ता के रूप में कही। 

लोकगायकों द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति

        इससे पूर्व दीप प्रज्वलन व शकुनाखर तथा कुमाउनी सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया। शकुनाखर, सरस्वती वंदना के साथ-साथ लोकगीतों को अपने मधुर कंठ से वाणी देकर जय नंदा लोककला केंद्र के कलाकारों लता पांडे, बिमला बोरा, शीला पंत, चंदन बोरा ने श्रोताओं की वाहवाही लूटी।

उदय किरौला जी का अध्यक्षीय संबोधन

    त्रिदिवसीय सम्मेलन के पहले दिन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बालप्रहरी संपादक उदय किरौला ने कहा कि कुमाउनी के विकास हेतु हम सबको अपने-अपने घरों में कुमाउनी भाषा बोलनी चाहिए और कुमाउनी में अधिकाधिक साहित्य का सृजन करना चाहिए।

मुख्य वक्ता मोहन चंद्र जोशी जी

     मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए मोहन चंद्र जोशी ने कहा कि कुमाउनी साहित्य अनुवाद की दृष्टि से निरंतर समृद्ध हो रहा है। कुमाउनी में प्राचीन धार्मिक ग्रंथों रामायण, महाभारत से लेकर आधुनिक कामायनी, गीतांजलि जैसे ग्रंथों के अनुवाद उपलब्ध हैं। उन्होंने कोरोना काल में स्वयं के द्वारा लिखी, अनुदित व संपादित आधा दर्जन पुस्तकों का भी उल्लेख किया और कहा कि उनके संपादित 58 कुमाउनी कवियों का ‘आंठ’ काव्य संकलन अब तक का कुमाउनी का सबसे बड़ा काव्य संकलन है। 

कार्यक्रम का संचालन करते डॉ. हयात सिंह रावत

     कार्यक्रम का संचालन करते हुए समिति सचिव व पहरू संपादक डॉ० हयात सिंह रावत ने समिति द्वारा कुमाउनी भाषा, साहित्य के विकास हेतु किये जा रहे प्रयासों पर तो प्रकाश डाला ही, साथ ही साहित्य के प्रति जनप्रतिनिधियों व सरकारों की उदासीनता पर भी खिन्नता जताई। उन्होंने कहा कि इस तीन दिवसीय सम्मेलन को कोविड के नियमों का पालन करते हुए सम्पन्न किया जाएगा। 

गीत सुनाते लोकगायक गोपाल सिंह चम्याल

      सम्मेलन में प्रो. सुंदर सिंह पथनी, आनंद सिंह बगड्वाल, गोपाल सिंह चम्याल, लता पांडे, आनन्द बल्लभ जोशी ने भी अपने विचार रखे।

सम्मानित व पुरस्कृत होने वाले रचनाकार

पुरस्कार प्राप्त करते सुंदर सिंह सतवाल
सम्मानित होते नवीन चंद्र जोशी

      सम्मेलन के पहले दिन कुमाउनी अनुवादक श्री त्रिलोक सिंह सतवाल को उनके द्वारा अनुवादित पुस्तक ‘गीतांजलि’ के लिए ‘के. एन. जोशी स्मृति कुमाउनी अनुवाद लेखन पुरस्कार’, श्री नवीन चंद्र जोशी को ‘पान सिंह चम्याल स्मृति कुमाउनी भाषा सेवी सम्मान’, डॉ. पवनेश ठकुराठी को ‘गंगा मेहता स्मृति कुमाउनी कविता लेखन पुरस्कार’ व श्री कृपाल सिंह शीला को ‘बचुली देवी स्मृति कुमाउनी इंटरव्यू लेखन पुरस्कार’ प्रदान किये गए। 

पुरस्कृत होते डॉ. पवनेश
पुरस्कृत होते कृपाल सिंह शीला

    कार्यक्रम में ललित तुलेरा, शशि शेखर जोशी, सुंदर सिंह सतवाल, महेंद्र ठकुराठी, पूरन चंद्र तिवारी, गिरीश चंद्र मल्होत्रा, गीता महरा, किशन जोशी, सुरेन्द्र सिंह, रूप सिंह बिष्ट, दयाकृष्ण कांडपाल, शंकर पांडेय, राजेश अधिकारी, चंद्रमणी भट्ट, नरेन्द्र नाथ, हेमलता कबड्वाल, प्रताप सिंह सत्याल आदि सहित अनेक भाषा व साहित्य प्रेमी मौजूद थे। 

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