कुमाउनी कहानी संग्रह: मन्याडर (Kumauni story Collection: Manyader)
कुमाउनी कहानी संग्रह: मन्याडर
Kumauni story Collection: Manyader
साथियों, क्या आप उस शख्सियत का नाम जानते हैं, जिसका कुमाउनी की नींव को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान है ? आइये आज हम चर्चा करते हैं कुमाउनी के प्रारंभिक कथाकार के कुमाउनी कहानी संग्रह ‘मन्याडर’ के विषय में। ‘मन्याडर’ कहानी संग्रह के लेखक हैं- बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’। आइये जानते हैं पुस्तक और लेखक के विषय में।
कहानी संग्रह के विषय में-
मन्याडर (कुमाउनी कहानी संग्रह)
‘मन्याडर’ कहानी संग्रह कुमाउनी का प्रारंभिक कहानी संग्रह है। ‘मन्याडर’ के पहले संस्करण का प्रकाशन 2007 में कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी (अल्मोड़ा) से हुआ। इसके लेखक साहित्यकार बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ हैं। कहानी संग्रह मन्याडर में कुल 9 कहानियां संग्रहीत हैं। ये कहानियां क्रमश: हैं, गलत बुन्याद, द्योखड़ि, सराद, नैनांङ, नौर्त, वड़, बड़ै, दिन न्हैई ग्यान, मन्याडर। इस संग्रह की मन्याडर एक मर्मस्पर्शी कहानी है, जो कुछ सालों पूर्व पहाड़ की मनीआर्डरी अर्थव्यवस्था का जीवंत चित्रण करती है। ‘मन्याडर’ कहानी से एक अंश नीचे दिया जा रहा है-
“हमर पहाड़ में य भौतै खराब सिस्टम जस हैग्यो कि बस हर म्हैंण मन्याडरक इंतजार करौ। काम-धंध, रूजगार-उद्यम में क्वै ले दिलचस्पी न्हैं। बस, परदेश में नौकरी करने च्यलानाक भेजी मन्याडरनक बाट चैरौ। दुकानन में चहा पीनै या ताश खेलनै रवो..!” एक बापसैप कूंण लाग।
किताब का नाम- ‘मन्याडर’
विधा- कहानी
लेखक- बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’
प्रकाशक- कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी (अल्मोड़ा)
प्रकाशन वर्ष- 2007
लेखक के विषय में-
बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’
कहानीकार बहादुर बोरा का जन्म 21 जुलाई ,1939 को पिथौरागढ़ जिले की बेरीनाग तहसील के गढ़तिर ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री पद्म सिंह बोरा और माता का श्रीमती दुर्गा देवी था। उन्होंने अल्मोड़ा डिग्री कालेज से 1958 में बीए की उपाधि हासिल की तथा बाद में जीविका हेतु स्वास्थ्य विभाग में नौकरी की। इनकी कहानियां पत्र- पत्रिकाओं, संकलनों एवं आकाशवाणी से प्रसारित होती रहती थीं। इनके 2007 में प्रकाशित कहानी संग्रह मन्याडर में कुल 9 कहानियां संग्रहीत हैं। 13 जून, 2008 को इनका निधन हो गया।
‘मन्याडर’ के कहानी संग्रह के अलावा बोरा जी की रचनाएँ ‘पछ्याण’, ‘डांडी-कांठी स्वर’, ‘उड़ घुघुती उड़’, ‘अन्वार’ व ‘गद्यांजलि’ संग्रहों में भी संकलित हैं।
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