कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

कुमाउनी कविता संग्रह: बखत (Kumauni Poetry Collection:Bakhat)

कुमाउनी कविता संग्रह: बखत
Kumauni Poetry Collection: Bakhat

     आज हम चर्चा करते हैं कुमाउनी कविता संग्रह ‘बखत’ के विषय में। ‘बखत’ कविता संग्रह के रचनाकार हैं-जुगल किशोर पेटशाली। आइये जानते हैं पुस्तक और रचनाकार के विषय में। 

कविता संग्रह के विषय में-

बखत (कुमाउनी कविता संग्रह) 

       ‘बखत’ कविता संग्रह के पहले संस्करण का प्रकाशन 2005 में उत्तरांचल लोक कला एवं साहित्य संरक्षण समिति, चितई अल्मोड़ा से हुआ। इसके रचनाकार साहित्यकार जुगल किशोर पेटशाली हैं। इस कविता संग्रह में पेटशाली जी कुल 32 कविताएँ संगृहीत हैं। संग्रह की कविताएँ आधुनिक समय में हुए सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक बदलावों को दिखाती हैं। कुमाऊँ के गाँव-समाज, प्रकृति, पर्यावरण, देवी-देवताओं, नारी, मानवीय प्रवृत्ति, देशप्रेम आदि को भी इन्होंने अपनी कविताओं का विषय बनाया है। ‘बखत’ संग्रह की ‘उमर’ कविता की कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं, इन पंक्तियों में आप नवीन बिम्ब व उपमान देख सकते हैं-

किलै कुनौछा यसि छु उमर
किलै कुनौछा तसि छु उमर
देखन देखनै ह्यूं ज बिलाणि
को बतै सकूँ कसि छु उमर। 
जैल काटि हाली उ लै कुनौ-
प्वथा क बतू कसि छु उमर
मिलण है पैलियै खर्च हैगै
कागजा नोटों जसि छु उमर
कत्ति बै रूइनै, कत्ति बै फाटनै
पुराण लुकुड़ जसि छु उमर।


किताब का नाम- ‘बखत’
विधा- कविता
रचनाकार- जुगल किशोर पेटशाली
प्रकाशक- उत्तरांचल लोक कला एवं साहित्य संरक्षण समिति, चितई, अल्मोड़ा। 
प्रकाशन वर्ष- 2005


रचनाकार के विषय में-

जुगल किशोर पेटशाली

        कवि जुगल किशोर पेटशाली का जन्म 07 सितंबर, 1947 को अल्मोड़ा जनपद के चितई गाँव में हुआ। आपके पिता का नाम श्री हरिदत्त पेटशाली है। आप 1963 से लगातार कुमाउनी व हिंदी में साहित्य सर्जन कर रहे हैं। आपने हिंदी में राजुला-मालूशाही (काव्य-1991), राजुला-मालूशाही (गीत-नाटिका, 1993), पिंगला-भतृहरि (काव्य-2001), उत्तरांचल के लोक वाद्य, कुमाऊँ के संस्कार गीत, कुमाउनी लोकगाथाएं, कुमाउनी लोकगीत आदि पुस्तकों का लेखन किया है। कुमाउनी में आपने दो पुस्तकें लिखी हैं, ‘बखत’ और ‘जय बाला गोरिया’। साहित्य सेवा हेतु आपको दर्जनों सम्मानों से नवाजा गया है। 

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