कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

आज ‘छाना बिलौरी’ गाँव में- दी दिया बौज्यू छाना बिलौरी

 आज छाना बिलौरी गाँव में 

         आज दि० 6 फरवरी, 2020 को विद्यालय परिवार के सदस्य भूपेंद्र नयाल जी के विवाह समारोह में प्रतिभाग करने का अवसर प्राप्त हुआ। विद्यालय में प्री-बोर्ड परीक्षा सम्पन्न कराने के उपरांत हम लोग ताकुला होते हुए काफलीगैर पहुंचे। काफलीगैर से लगभग दो किलोमीटर भीतर की ओर जाने पर हम ‘छाना बिलौरी’ गाँव पहुंचे। यह वही छाना बिलौरी गाँव है, जिसके विषय में एक कुमाउनी लोकगीत में कहा गया है-

“झन दिया बौज्यू छाना बिलौरी, 
लागलो बिलौरी को घाम।”


        जब हम गाँव के मध्य में पहुंचे तो एहसास हुआ कि आखिर लोकगीत में ऐसा क्यों कहा गया है। गाँव में धूप वाकई में चटक थी, लेेकिन इतनी अधिक भी नहीं। इस     गाँव के लिए यह पंक्ति अधिक सार्थक सिद्ध होगी-

दी दिया बौज्यू छाना बिलौरी….. 


      बहरहाल शादी के बहाने लोकगीत के इस जीवंत गाँव का दर्शन कराने के लिए नयाल जी का हार्दिक धन्यवाद और विद्यालय परिवार की ओर से उन्हें सुखद वैवाहिक जीवन की अनंत शुभकामनाएँ। 

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