कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

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प्रो.शेर सिंह बिष्ट: गोल्ड मेडल से हिंदी विभागाध्यक्ष तक की यात्रा

श्रद्धेय गुरू व साहित्यकार प्रो. शेर सिंह बिष्ट का 19 अप्रैल, 2021 को निधन हो गया। उनके निधन से साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र की अपूरणीय क्षति हुई है। यहाँ प्रस्तुत है प्रो. बिष्ट के शैक्षिक व साहित्यिक योगदान का संक्षिप्त विवरण- प्रो. शेर सिंह बिष्ट: गोल्ड मेडल से हिंदी विभागाध्यक्ष तक की यात्रा जन्म और

हौलदार पंचम सिंह

🇮🇳   हौलदार पंचम सिंह  ðŸ‡®ðŸ‡³       जो हमारे देश की रक्षा के लिए दिन-रात सीमा पर तैनात रहते हैं, जिनके लिए जाड़ा, गर्मी, उजाला, अंधेरा सब एकसमान रहता है, जो देशवासियों के लिए अपने परिवार से दूर हो जाते हैं, जो देश की रक्षा के लिए अपनी जान दे देते हैं, उनके

मुसाफिर का कोई घर नहीं होता

मुसाफिर का कोई घर नहीं होता   गाँव, कस्बा या कोई शहर नहीं होता आज यहाँ है तो कल वहाँ यारो मुसाफिर का कोई घर नहीं होता।    उम्मीदों के चिराग जलाये, रात-दिन घूमते हैं मंजिल को याद कर पल-पल झूमते हैं।  क्योंकि सपनों का कोई शिखर नहीं होता।  यारो मुसाफिर का कोई घर नहीं
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